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महापुराण
[२८.२०.३ पुछद पेच्छंती गयवरगद पभणइ कंचुइ णि मुणि महासइ । ऐहु केरलवह पहु सिंघलवइ एड मालववह एहु कोंकणवइ । एड्व बब्बरवइ एह गुजरवइ एह जालंधरिसु एहु वजरवह।
राउ एहु सत्य मि कलिंगाएं। एडु कस्सीरणाहु देकेसर पड अवरु अवलोयहि तुई वर। सोमपहसुर ऐड सेणावह कुरुकुलणहि गर ससि णावइ । रुद्धणहंतरधरवित्थारहि
विसहरवरिसमाणजलवारहिं । णिष दिग्विजइ अणेयं परजिय मेच्छ अतुच्छवंस रणि णिज्जिय । गजिन णवघणघोसणिणाएं. मेहेसह जिहकारिच राएं। इय आयण्णिवि पियसहिवयगई मुद्धा पेसियाई णियणयणई। घत्ता-विह जोइड ताइ सुलोयणए जर णियवइ जयगारत ||
जिह रोमि रोमि तहि विप्फुरित वम्महु वम्मवियारउ ||२०||
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जिह जिह कपणइ पइ आलोइउ तिह तिह रेहिएं संदणु ढोइउ । परवरिंद णीसेस पमाइदि भर्वसिणेहसंबंधे जाइवि । सज्झसकंपावियगइगत्तइ वीलावसपरिमंडलियणेतहि । जयहु लच्छिकीलाभूमित्यलि पित सयंवरमाल उरथलि। 'कुसुमसरेण णं कुसुमसरावलि गहिय कुमारि तेण केयपंजलि। गत लहु सरह भरह साफेयह दुम्मइ परिवडिय जुयरायहु । ता दुईसणु दुद्धरु दुज्जणु दुछु दुरास दूसियसज्जणु । रविकित्तिहि सुहिवंदाकरिसणु अस्थि मंति णामें दुम्मरिसणु। मच्छरवंत वेण पउत्त
जहिं अहिंस तहिं धम्मु णित्तर। जहिं अरहतदेउ तहिं सयमहु ।। जहिं मुणिवह तर्हि इंदियणिग्गहु । जहिं महिवइ तहि रयणहं संगहु । ण करहेण खरेण वा गरबंदछ। घंटालंबणु सहइ करिबहु ।। हरिकरिधीआईयई णियंदहु सयलई रयणई होति णरिंदहु । धत्ता-संकेश्य पुत्ति अकंपणेण एह णिहालिउ बालए ।।। ___अवमाणिवि तुम्हई पित नाय घणरबु पुज्जित मालए ॥२॥
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३. GK गइवर but glogs गजवरगतिः; K corrects गई to गमे । ४. MB read lines 4, 5 and 6 as: एह केरलवइ एड कोसलवइ, एड्स सिंधलवइ एह मालवपइ; एह कुंकणनम्बरगुज्जरवइ, एह जालंधरेसु वज्जरवइ; एह कभोयकोंगगंगंगह, राज एव सव्वहं मि कलिंगहं । ५. MB इस्कैसा ।
६. MB पह। ७. MB जलधारहि। ८. MB अणेण । ९. MB जिह कारिउ । २१. १. MB रहिमं । २. MB भवसह । ३. MB मणिय । ४. MB सकुसुम गं कुसुमसरसरावलि ।
५. MB कि । ६. M13 अरहंतु घेउ । ७. MB add after this : अहिं सुवण्णु तहि विसयपरिग्गहः । ८. M योअइआई णियंदह, Bथीआइणिअंदह । ९. MB पडतणम ।
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