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________________ २८. १७. १८) हिन्दी बनुवार २०७ कहता है-"चक्रवर्तीका पुत्र, कमलके समान मुखवाला अकीति है, कन्या उसको दीजिए, किसी दूसरे लोक सामान्य सामन्तो क्या ?" सिद्धार्य ( मन्त्री) कहता है कि प्रभजन नामका सुन्दर राजा है, जो मानो साक्षात् स्वयं कामदेव हो। रथवर बली वधायुष और मेघेश्वर भी है। तन सर्थ मन्त्री बोला-"यदि मनुष्यको छोड़कर, तुम्हारी पुत्रीका वर विद्याधर हैं, तो किसी अन्ममें वह लावण्य नहीं है।" सुमतिने कहा-“हे प्रम, मैने स्वीकार किया। सबसे अविरोषी बात यह है कि स्वयंवर किया जाये, जिससे किसीके भी स्नेहका खण्डन न हो।" पत्ता-इस प्रकार बहुशास्त्रज्ञ परिणत बुद्धि सुमति मन्त्रीने ओ प्रार्थना की उससे कार्यको गति होगी, यह जानकर सबने उसका समर्थन किया ॥१६॥ १७ उस अवसरपर विमानरूपी लक्ष्मीका स्वामी और कुमारीका पूर्वजन्मका भाई चित्रांगद देव वहां आया। उसने सुन्दर भण्डपकी रचना की, जो विचित्र भित्तियोंसे शोभित, मूलते हुए तोरणमालाओं, हिलती हुई पुष्पमालाओंसे युक्त, मतवाले भ्रान्त भ्रमरोंवाला और अपने शिखरोंसे भाकाशके अग्रभागको छूता हुआ 1 नीलमणियोंसे निबढ भूमिसल ऐसा लगता है जैसे अन्धकारसे काला हो गया हो, कहींपर स्वर्णसे पीला कमलपरागसे युक्त सरोवर हो, कहीं चोदी-से स्वच्छ ऐसा लगता है मानो प्रदीप्त चन्द्रमण्डल हो, कहीं वस्त्रोंसे आच्छादित ऐसा लगता है, मानो शुकोंको पूंछोंके रंगका हो । नवतृणस्थलोके समान बोर महान् पुष्योंका संगम, मणियोंकी शोभासे घोभित और कान्सिसे आच्छादित, कहीं रक दिखाई देता है जैसे वचूके द्वारा अनुरक्त हो। श्रीके विलाससे दीप्त जो नवसूर्यके समान स्थित है, मोतियोंके अचनसे निहित, शंख-मंगल कलश और दर्पणसे सहित, अशेष मंगलोंका बाश्रय, प्रगीत गीतघोषोंवाला, विशाल मत्त गजोंवाला और सूर्यको किरणोंको आच्छादित करनेवाला। पत्ता हे देव, में मण्डपका क्या वर्णन करूं। अनेक माणिक्योंसे जड़ा हुमा वह जहाँ दिखाई देता है, वहीं सुहावना लगता है मानो स्वर्ग ही धरतीपर आ पड़ा हो ॥१७॥
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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