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________________ हे मृगनयनि ! जिसमें हाथ के समान नूतन पल्लव लहलहा रहे हैं, जो मदोन्मत्त अमरों से सेवित हैं, जिनके फूल के दो गुच्छे अत्यन्त कठोर हैं, और जिसकी दो बड़ी शाखाएँ शिरीष के फूल के समान अत्यन्त सुकुमार हैं ऐसी तुम ही चलती-फिरती लता हो और तुम हो काम की लक्ष्मी हो। पुष्पावचय करनेवाली स्त्रियों का स्वाभाविक चित्रण देखिए कितना सजीव हैबलात्कुचं सपदि भङ्गुरमध्यभागं स्विद्यत्कपोलमलकाकुल वक्त्रविम्बम् । व्यालोलकङ्कणझणरकृति तत्र देव्यः पुष्पग्रहं करतलैः कुतुकादकार्षुः ||१७|| - पू. २२२ वहाँ देत्रियों — रानियों ने कौतुकाश अपने हाथों से फूलों का चयन किया । चयन करते समय उन देवियों के स्तन हिल रहे थे, मध्यभाग झुक रहे थे, कपोल पसीना से तर हो रहे थे, मुख मण्डल केशों से व्याकुल हो रहे थे और चंचल कंकण शनशन शब्द कर रहे थे । जलकीड़ा धर्मशर्माभ्युदय का कथावृत्त अल्प होने से उसमें वर्णनात्मक भाग का विस्तार किया गया है । यही कारण है कि उसमें इनक्रीड़ा और जलकोड़ा के लिए स्वतन्त्र स रखे गये हैं परन्तु जीवन्धरचम्पू का कथावृत अत्यन्त विस्तृत है साथ ही अनेक घटनाओं से भरा हुआ है अतः इसमें काव्यात्मक वर्णन सीमित हैं । यहाँ जलक्रीड़ा के प्रसंग के निम्न श्लोक द्रष्टव्य हैं कश्चिदम्भसि विकूणितेक्षणं हेमयन्त्रविगलज्जलैर्मुहुः । कामिनीमुखमसिदजसा चन्द्रविम्बमिव द्रष्टुमागतम् ॥१७॥ सुदर्तीकुचकुट्मलाग्रमारात्तरुणः कश्चिदसिम्यदम्बुभिः । हृदयस्थल जात रागकल्पद्रुमवृद्ध कि कामुकः परम् ||१८|| अन्या काचिद्वल्लभं वञ्चयित्वा सख्या साकं वारिमग्ना मुहूर्तम् । तस्मा गात्रामोदलोभाद् भ्रमद्भभृता सामना लिङ्गिता च ॥१९॥ सरोजिनी मध्यविराजमाना काचिन्मृगाक्षी कमनीयरूपा । वक्षोजकोशा मृदुबाहुनाला नाक्षि वक्रायतफुल्लपमा ||२०|| च्युतैः प्रसूनैर्धन केशबन्धान्मृगीदृशां तारकिते जलेऽस्मिन् । निरीक्ष्यमाणं वरुणैtचकोर: कस्यादिचदास्यं शशभृवभूव ॥२१॥ -.८३ भाव यह है उस समय पानी पर जिसकी कुंचित दृष्टि पड़ रही थी और जो देखने के लिए आये हुए चन्द्रविम्व के समान जान पड़ता था ऐसे अपनी प्रिया के मुख को सोने की पिचकारी से निकलते हुए जल से कोई बार-बार सींच रहा था । महाकवि हरिचन्द्र : एक अनुशीलन १६६
SR No.090271
Book TitleMahakavi Harichandra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages221
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size4 MB
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