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स्तम्भ २ : आदान-प्रदान
.... ८७-१०१ २०. जीवन्धरचरित की उपजीव्यता, २१. उपजीच्य और उपजीवित, २२. शिशुपालवध और धर्मशर्माभ्युदय, २३. चन्द्रप्रभचरित और धर्मशर्माभ्युदय ।
तृतीय अध्याय स्तम्भ १ : सिद्धान्त
... १०५-११८ २४. तीर्थंकर की पृष्ठभूमि, २५. धर्मशर्माभ्युदय में जैन-सिद्धान्त, २६. जीवन्धरचम्पू में जैनाचार, २७. धर्मशर्माभ्युदय में चार्वाक दर्शन और
उसका निराकरण । स्तम्भ २: वर्णन
२८. धर्मशर्माभ्युदय में देश और नगर-वर्णन, २९. जीवन्धरचम्मू का नगरी-वर्णन, ३०, धर्मशर्माभ्युदय का नारी-सौन्दर्य, ३१. जीवन्धरपम्पू में नारी-सौन्दर्य का वर्णन, ३२. जीवन्धरचम्पू की नेपथ्य-रचना, ३३,
राजा, ३४. देवसेना, ३५. सुमेरु, ३६, क्षीरसमुद्र, ३७. वियगिरि । स्तम्भ ३: प्रकृति-निरूपण
३८. धर्मशर्माभ्युदय का ऋतुचक्र, ३९. जीवन्धरचम्पू का तपोवन, ४०. जीवन्धरचम्पू का प्रकृति-वर्णन, ४१. सूर्यास्तमन, तिमिरोद्गति, अन्धोदय, पानगोष्ठी आदि, ४२. धर्मशर्माम्युदय का प्रभात-वर्णन ।
चतुर्थ अध्याय स्तम्भ १ : आमोद-निदर्शन ( मनोरंजन ) .... १५२-१६७
४३, धर्मशर्माभ्युदय में पुरुषावचय और जलक्रीड़ा, ४४. जीवन्धरचम्पू का वसन्त-यभव।
स्तम्भ २: प्रकीर्णक निर्देश
... १६८-१८३ ४५. जीवधरचभ्यू में शिशु-वर्णन, ४६, जीबम्परचम्पू का प्रबोध-गीत, ४७. धर्मशर्मास्युदय का स्वयंवर वर्णन, ४८. चन्द्रग्रहण और जरा का अद्भुत वर्णन, ४९, सज्जन-प्रशंसा और दुर्जन-निन्दा, ५०. पुत्राभाववेदना, ५१. स्वप्नदर्शन।