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________________ युश-वर्णन की भी विशद चर्चा की गयी है। इस सम्दर्भ में शिशुपालवध, किरातार्जुनीय तथा चन्द्रप्रभचरित के युद्ध-वर्णन की भी समीक्षा की गयी है। भौगोलिक निर्देश और उपसंहार पंचम स्तम्भ में रत्नपुर, हेमार्गद देश तथा जीवन्धर स्वामी के भ्रमण-क्षेत्र में आये हुए स्थानों का परिचय प्राप्त करने का प्रयल किया गया है। यह सिद्ध किया गया है कि रत्नपुर, बिहार प्रान्त के पटना का निकटवर्ती कोई नगर रहा है और हेमांगद देश, मैसूर प्रान्त के अन्तर्गत कोई मण्डल रहा है। इसी स्तम्भ में धर्मशर्माभ्युदय के संस्कृत टीकाकार यशस्कीति के जीवन परिचय पर विचार किया गया है। अन्त में धर्मशर्माभ्युदय और जीवन्धरचम्पू के अनुशीलन भा में लिखे हुए दोन हात मिल गया है । परिशिष्ट परिशिष्ट में ४४ सहायक ग्रन्थ और अन्धकारों की सूची दी गयी है। प्रस्तावना में काव्य-विषा के उद्धरण देकर मैं शोध-प्रबन्ध को पुनरुक्त नहीं करना चाहता है। इस शोध-प्रबन्ध के लिखने में थीमान् डॉ. रामको उपाध्याय एम. ए., पी-एच. डी., डी. लिट्, अध्यक्ष संस्कृत विभाग, सागर विश्वविद्यालय, सागर ने पूर्ण सहयोग दिया है। उन्होंने प्रबन्ध को बड़े मनोयोग से देखा है तथा आवश्यक परिवर्तन और परिवर्धन कराया है । उनकी इस कृपा के लिए मैं आभारी हूँ । सागर विश्वविद्यालय ने इस प्रबन्ध को स्वीकृत कर महाकवि के ग्रन्थ-रत्नों से साहित्यिक क्षेत्र को अवगत कराया, इसकी प्रसन्नता है। __ भारतीय ज्ञानपीठ के माध्यम से इस प्रबन्ध का प्रकाशन हो रहा है इसके लिए मैं उसके संचालकों, प्रमुख रूप से उसके मन्त्री श्री बाबू लक्ष्मीचन्द्रजी एम. ए. का अत्यन्त आभारी है जिनकी उदार कृपा से ही इसका प्रकाशन हो रहा है। प्रबन्ध के लिखने में जिन ४४ ग्रन्थ तथा प्रन्थकारों का सहयोग प्राम हुआ है उनके प्रति नम्र श्रद्धाभाव प्रकट करता हुआ त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। विनीत सागर १अगस्त १९७५ पन्नालाल साहित्याचार्य
SR No.090271
Book TitleMahakavi Harichandra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages221
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size4 MB
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