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________________ स्तम्म २ : आदान-प्रदान जीवन्धरचरित की उपजीव्यता जीवन्धर स्वामी का चरित लोकोत्तर घटनाओं से परिपूर्ण है अतः उसके अंकन में विविध भाषाओं के लेखकों ने अपना गौरव समझा है। अब तक जीवन्धरपरित के प्रख्यापक निम्नांकित ग्रन्थ उपलब्ध हुए हैसंस्कृत में १. गद्यचिन्तामणि-मादीम-सिंहमूरि-धारा बिरचित गद्यकाव्य २. क्षत्रचूडामणि-वादीभसिंह सूरि द्वारा अनुष्टुप् छन्दोमय काम्य ३. जीवन्धरचरित-गुणभद्राचार्यरचित उत्तरपुराण के ७५८ पर्व का एक अंश ४, जीवन्धरचम्पू-महाकवि हरिचन्द्र द्वारा रचित गद्य-पद्यमय चम्पूकाव्य ५. जीवघरचरित-शुभचन्द्राचार्यकृत पाण्डव-पुराण के अन्तर्गत एक अंश ६. क्षत्रवृद्धालंकार-४० शार्दूलविक्रीडित-वृत्तों का लघुग्रन्थ, पन्नालाल साहित्या चार्यकृत, गधचिन्तामणि के परिशिष्ट में प्रकाशित अपभ्रंश में ७. जीवन्धरमरिउ-पुष्पदन्त कवि द्वारा रचित अपभ्रंश महापुराण की __९९वों सन्धि । ८. जीवन्धरचरित-रघु कधि के द्वारा रचित १३ सन्षियों का एक अन्य तमिल भाषा में ९. जीवकचिन्तामणि-तिस्तक्क देवर द्वारा रचित तमिल भाषा का एक प्रसिद्ध काव्य कर्णाटक में १०. जीवन्धरचरिते-वासव के पुत्र मास्कर के द्वारा रचित १८ अध्यायात्मक १००० इलोकों का अन्य ११. जीवन्धर सांगरम-तेरक नम्बि वोम्मरस के द्वारा लिखित २० अध्याया त्मक १४४९ श्लोकों का एक अन्य भादान-प्रदान
SR No.090271
Book TitleMahakavi Harichandra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages221
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size4 MB
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