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________________ हरिचन्द्र ने दोनों ही काव्यों में नारी के सौन्दर्य का वर्णन जिस खूबी से किया है वह उनकी काव्य-प्रतिभा को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है। इस स्तम्भ में सुव्रता और गन्धर्वदत्त के नखशिख वर्णन सम्बन्धी अनेक पद्य उद्धृत कर उल्लिखित सत्य की पुष्टि की गयी है । राजा , राजा, संसार के सात परम स्थानों में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है । शिष्टानुग्रह और दुष्टनिप्रद राजा के प्रमुख कार्य हैं। साम, दाम, दण्ड और भेद- इन चार उपायों तथा सन्धि विग्रह, यान आदि छह गुणों का धारक होना, राजा के लिए आवश्यक है । राजा के इन सब गुणों का वर्णन दोनों ग्रन्थों में अच्छी तरह किया गया है। धर्मशर्माभ्युदय में राजा महासेन और राजा दशरथ का तथा जीवन्धरचम्पू में राजा सत्यन्वर का वर्णन साहित्यिक और राजनीतिक विधाओं से परिपूर्ण है । देवसेना भगवान् धर्मनाथ का जन्माभिषेक करने के लिए सोधर्मेन्द्र, अपनी चतुरंगिणी सेना के साथ सुमेरु पर्वत पर गया है। वहाँ हाथी, घोड़े, रथ और पयादे इन चारों अंगों का अच्छा वर्णन हुआ है । स्वभावोक्ति अलंकार ने कवि की तुलिका के द्वारा अंकित रेखाचित्रों में रंग भरने का काम किया है । सुमेरु वसुधा के समान धरातल से एक लाख योजन ऊँचे सुमेरु पर्वत के पाण्डुकवन में स्थित पाण्डुक शिला पर तीर्थंकर का जन्माभिषेक होता है। इस प्रसंग में सुमेरु पर्वत का वर्णन आया है । कवि ने श्लेष, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा नादि अलंकारों के द्वारा उसका सुन्दर वर्णन किया है । क्षीर सागर देवों को पंक्तियाँ अभिषेक का जल लेने के लिए क्षीरसमुद्र गयी हैं। इस सन्दर्भ में क्षीरसमुद्र के वर्णन का प्रसंग आया हूँ । मालिनी छन्द में लहराते हुए समुद्र का वर्णन बड़ा मनोरम जान पड़ता है। ऐसा लगता है मानो कवि की उत्प्रेक्षाएं पाठक के मन को अन्तरिक्ष में उड़ा ले जा रही हैं । विन्ध्यगिरि विदर्भदेश को जाते समय सुवराज धर्मनाथ ने विन्ध्याचल पर निवास किया या । इसी सभ्दर्भ में उसका वर्णन आया है। 'नानावृत्तमयः कश्चित् सर्गः ' इस सिद्धान्त के अनुसार कवि ने उसका नाना वृत्तों - छन्दों में वर्णन किया है । अर्थालंकार तो है ही पर यमक नामक शब्दालंकार भी यहाँ अपनी अद्भुत छटा दिखला रहा है । I ३२
SR No.090271
Book TitleMahakavi Harichandra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages221
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size4 MB
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