________________ 31. महाकवि दौलत राम कासलीवाल-श्यक्तित्व एवं कृतित्व ताहि पा है पर इन्द्रपदकी दिव्यलक्ष्मी पाब है अर पुष्यथ कोही तीर्थ करक) विभूति पाव है पर पुष्य ही धकी परंगराय मोक्षकी अविनाणी लक्षमी पाव है। या भांति पुश्यक प्रभावतं ए च्यारू विभूतिनिका भव्य गीय भाजन होय है, तान असा जानि जे सुद्धि है ते पवित्र जिनेंद्र के प्रागमतं पुण्यकू उपार्जी / / 126 / / इति श्री भगवज्जिनसेनाचार्यविरचित त्रिषष्टिलक्षणमहापुराण संग्रहे पश्चिमार्ग - यद्वारविजयवर्णन नाम तीसवां पर्व पूर्ण भया / / 6 / /