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महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व
दोहा
यह चरित्र श्रीपाल को, पूरन भयो सुजान । याकू लखि धरम उर विष, निश दिन राखि सचान ।।७५२।। धर्म सकल सुखदाय है, ताते भवि उर आन । पाप बुद्धि दुखदा सही, छाडन की बुद्धि ठान ।।७५३।। संवत अष्टादश शत जान, ऊपर बीस दोय फिर पान । फागुण सुदि इग्यार निस मांहि, कियो समापत उर हुलसाहि ॥७५४।।
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दोहा
सोमसेन अनुसार ले दौलतराम सुखदाय । यह भाषा पूरण करी सकल संघ सुखदाय ।।७५.५।।
इति श्रीपास चरित्र संपूर्णः। लिखता पंजित पन्नालालजी की परतभनय परतापगढ मध्ये । धान मंडी में श्री ऋषभदेवजी के मंदिर श्री रिखमनाथ चताले श्रीरस्तु कल्याणमस्तु संभवतु । वार बोतवार ने संवत १९२१ पोस सुची पंचमी ।।