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________________ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व अतितातो अतित्रात तु जु अतिवीर प्रवीरा । प्रतिपातो अतिसार तु जु अतिचार अनीरा ॥ अतिधीरो अतिमिन तू जु अतिस्वामि अनादी । प्रतिरूपो अतिभूप तू जु अतिपुत प्रवादी ।। अधिकारी अतिरम्य तु अति सु पुन्य अवधूत है। अभिचारो अतिशूर तू अति चूर जु अतिभूत है ।। २११।। अतिपति तू अति ऊच तू जु अतिसौच अनंदा। अतिपूरा प्रतिबुद्धि तू जु अतिदूर अफंदा ।। तू अमरामर देव ज्योति मय तेरो रूपा । सर्वज्योति जितदेव तू जु अतिछति जिनभूपा॥ दो सौ तू ही देव है और न देव कदापि को। तू पूरण परमात्मा भगवानो जु उदापि को ।।३१२।५ तू जु अहिंसा शक्त त्यक्त अदया सन्न तूही । तु अनत परिहार करण सब गुण जु समही ।। सब परि तू जु दयाल नाहि कर मनि परि जैनां । अमृत तुल्य महान नाथ तुव अदभुत वैनां ।। अदत प्रत्यक्त जु तू सही अग्रह्म तिक्त सुग्रह्म तू । अबध अबाध अकिंचनो परमेश्वर पर ब्रह्म त ।। ३१३।। अपरद्रव्य को त्याग वस्तु ते तेरे स्वामी । अनृतमाया जाल तासु को लेशन कामी ।। अमला कमला पासि पासि रूपा नहि कमला । बहिरंगा ने दूर तू जु अंतर लछि विमला ।। त श्री व्यक्त अभीत है, अलभ प्रभाव अगृद्धि तू । अबध निरूपो गुण मई, ऋद्धि वृद्धि धर सिद्धि तू ।।३१४।। तू जु अरोर प्ररोग तू जु श्रीयुक्त अनंता । तू श्रीवान जिनेस रहित अबला अरहता ।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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