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________________ १७४ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व तू अभिधाता अतिगणपाता, तू जु प्रमाता नाथ अधाता । अतिगुण-पूरा प्रतिसयधारी, अतिभवदूरा निकट विहारी ।।५८|| अमराणी इक तोकौं बंद, इक भव घरि वह कर्म निकंदे । अमरेस्वर अमरांणी दोऊ, शची सुधर्मा तो मय होऊ ।। ५६ ।। प्रब्रह्मनिन अधिक जिदा. ब्रह्मचर्य धर तु जू मुनिंदा । अवला निदक तू जु प्रभूजी, अवल विलोकइ तू जु विभुजी ।। ६०।। तू जु अगृद्ध सुगृद्धि न तेरै, अति जु अकिंचन रच न प्रेरें। परम अकिंचन प्रकट करेवा, अदुरित रूप जु अदुरित देवा ॥६१।। अवला-तजक अलपट झांनी, अवला अधमपुरी परवांनी । अदयावजित श्रीपति स्वामी, अदया नर्कपुरी पदगांमी ॥६२॥ अधम पुरुष अदया कौं लागें, ___ त्यागि अहिंसा पाहि पागें । ते सठ लहाह न शिवपुर वासा, दुरगति भोग लहैं अघदासा ॥६३।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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