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जीर्वधर स्वामि परित
जा विधि कन्या पें सुनियों, ताही विधि इन 4 भनियों। या भवथी पहली तीजै, भव सौ ले वात सुनीज 11
सोरठा
पूर्व भव वर्णन
हेमांगद इक देश, जहां राजपुर नगर है । वणिक वंस सु भेस, रतन तेज निबसें तहां ।।१२।। जाक गरि सुजान, माम तालम सही: ताकं रूप निधान, नाम भनुपमा पुत्रिका ॥६३।। गुग करि अनुपम होई, नही नाम अनुपमा । रमा उमा सी सोई, सुन्दर सनमति धारिणी ॥६४॥ ताही नगर मझार, कनकतेज इक सेठ है । जाके रूप अपार, नारि चन्द्रमाला कही ॥६५|| ताक सुवरण तेज, पुत्र दुरमती दुविधा। जाक सुभ मैं जेज, असुभ काज मैं सीघ्रता ।।६।। पहली जानं नाहि, प्रौगुन सुबरण तेज के । रतनतेज मन माहि, तवें अनुपमा की सही ।।१७।। करी हुती सुभ जांनि, सेठ सगाई मूढ़ सौं । पछे लक्षण पहचांनि, करी अवज्ञा सठतनी ॥६!! मरिण व्योहारी साह, ताही पुरि गुणमित्र जो । करिके अधिक उछाह, ताहि दई परणायं सो IR६|| लहि पतिसौं संजोग, अलप काल ही सुख भयो । तुरत हि हुवो वियोग, जल जात्रा चाल्यो पति ।।१००।। रतन बिसाहन काज, बैठौ साह जिहाज मैं । चूड़ी बड़ी जिहाज, परी अरय जल भवरण मै ।।१०१।।