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प्रस्तावना
२६ हेमराज :
कवि ने हेमराज का 'पुण्यास फयाकोश' में स्मरण किया है और उनके सम्मान में निम्न पत्र लिखा है
हेमराज साधर्मी मले, जिन बच मांनि असुभ दल मले । प्रध्यातम चरचा निति करै, प्रभु के चरन सदा उर धरै ।।
हेमराज जैन धर्मावलम्बी थे जिनवाणी में उनकी प्रदट बद्धा थी। वे मागरा की प्रध्यात्म शैली के प्रमुख सदस्य थे । तपा अध्यात्म-चर्चा में संलग्न रहा करते थे।
मागरा के ही अन्य पाजे हेमराज संभवतः उनसे भिन्न विधान थे ।
डा० कस्तूरचंद कासलीवाल