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________________ भाषा अध्ययन पौराणिक — कत्रि के पौराणिक काव्यों में श्रीपालरास, नेमीश्वररास, हनुमतकथा, प्रश्च स्तरास एवं सुदर्शनरास के नाम लिये जा सकते हैं। इन सभी काव्यों के नामक पौराणिक है और जिनकी कथा वस्तु का आधार महापुराण, पदपुरा और हरिवंशपुराण जैसे पुराण हैं लेकिन स्वयं कवि ने अपने काव्यों में कथा का श्राधार नहीं है। प्रमुख कथाको लोकप्रियता का होना है । कवि ने कहीं कथा का संक्षिप्तीकरण कर दिया है तो कहीं कथा को विस्तृत रूप देकर उसमें काव्यात्मक चमत्कार पैदा करना चाहा है । यद्यपि इन काव्यों में कथा वसांन कवि का मुख्य ध्येय रहा है लेकिन अपने काव्यों को लोकप्रिय बनाने के लिये उनमें भक्तिरस, शृंगाररस, एवं वीररम का पुट दिया है और उससे सभी काव्य श्राकर्षक बन गये हैं । नेमिनाथ २२ वें तीर्थंकर है तो निर्वाण प्राप्त करते ही हैं किन्तु श्रीपाल, हनुमान, प्रद्यम्न एवं सुदर्शन सभी नायक जीवन के अन्त में वैराग्य वारण कर तथा घोर तपस्या करके निर्वाण प्राप्त करते हैं । इन सभी के जीवन में अनेक बाधाएं श्राती हैं । श्रीपाल और प्रद्युम्न को तो जीवन में अनेक विपत्तियों का सामना करना पड़ता है लेकिन उनकी जिनेन्द्रभक्ति में प्रबल प्रस्था होने के कारण उन्हें सभी विपत्तियों से मुक्ति मिलती हैं । सुदर्शन की तो सूली पर चढ़ाने के लिये ले जाया जाता है लेकिन उसे भी अपने पूर्वोपार्जित कर्मों एवं जिनेन्द्र भक्ति के कारण चमत्कारिक रीति से सूली के स्थान पर सिहासन मिलता है । यद्यपि इनकी कथा का आधार पुरा है लेकिन काव्य में सभी लौकिक एवं सामाजिक तत्व विद्यमान हैं । ८१ ऐतिहासिक जम्बु स्वामी भगवान महावीर की परम्परा में होने वाले अन्तिम केवली हैं जिन्हें इस युग में निर्वारण की प्राप्ति हुई थी। मगध प्रदेश की राजधानी राजगृह के एक श्रेष्ठी के यहां जम्बू कुमार का बचपन में ही सर्मा स्वामी के उपदेश से प्रभावित होकर विरक्त हो के आग्रह पर उन्होंने विवाह तो किया लेकिन विवाह के कुछ ही समय पश्चात् उन्होंने मुनि दीक्षा ले ली और ४० वर्ष तक देश के विभिन्न भागों में विहार करने के पश्चात् चौरासी मथुरा से निर्वाण प्राप्त किया। कवि ने अपने इस रास काव्य में तत्कालीन ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख नहीं किया है । - जन्म हुआ । गये । श्रपने कुटुम्बियों आध्यात्मिक — परमहंस चौपई कवि का सबसे उत्कृष्ट रूपक काव्य है जिसके परमहंस नायक हैं तथा चेतना नायिका है। अन्य पात्रों में माया, मन, प्रवृत्ति एवं निवृत्ति, विवेक एवं ज्ञानावरणादि अष्ट कर्म हैं । कवि ने अत्यधिक व्यवस्थित रूप से अपने पात्रों को प्रस्तुत किया है काव्य का प्रमुख उद्देश्य मानव को प्रसत को
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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