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महाकवि बना रायमल्ल
के लिये प्रयोग किया जाता है । सवासिणी का विशेष सम्मान होता है तथा
उसे दुल्हिन की विशेष सम्हाल करनी पड़ती है। २. कुकरौ-यह शब्द कुत्ते के लिये प्रयुक्त होता है। गांवों में फुत्त को आज
भी कूकरा ही कहा जाता है । ३. छाने'--जो कार्य दूसरों के द्वारा बिना देखे किया जाता है उसे छान-छाने
काम करना कहा जाता है। ४. राउ--विधवा स्त्री राजस्थान में किसी महिला को रोंड कहना मानी देने के
बराबर है। ५. ठोकना-नमस्कार करना" ६, लुगाई-स्थी महिला ७, ज्योणार–सामूहिक भोजन। ८. बीसाई-बिल्ली12
__महाकवि ब्रह्म रायमल्ल के काव्यों को हम निम्न भागों में विभाजित कर सकते हैं -
१. पौराणिक ३. ऐतिहासिक ३. प्राध्यात्मिक ४, सामाजिक १. लघु काव्य
१. हो पहलौ जी राजा पंधीक धुष्ठि प्रय मरास ५ २. हो दूजा जी पणउ जिण की वाणी ३. हो तीजा जी पण गुरु मिरंगयो ४. चौथो काल सवा रहेजी.......! ५. गावं हो गीत सर्वासिणी, नार्थ जी अप्छरा करिवि सिंगार ॥नमीश्वररास||१४|| ६. कुकरी काम ते झाडिया महो गई जी वीलाई ॥नेमी।।५० '७हो राणी भर राउ डर माने, हो विद्या तीनि लेह यो छाने |पद्य म्नरास।।११६ *. राजा मन में चितब जी, हो देखौ रात तणा योहारो ॥१२३: पद्य म्मराप्त।।
६. घरण माता का ढोकिया जी १०. हो तौलग भामा मारि पटाई, हो गाये गीत डारिका लुगाई ।। प्रथम१५ ११. हो सप्ति भामा परि भयो कुमारो, भानुकुमार म्याह स्पोरणारी प्रिय न।।१४४ १२. अहो गई जी बिलाई मारग काटि ।। नेमीश्वर रास ।।६०॥