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________________ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल भविष्यदत्त पौपई राजस्थानी भाषा की रत्नना है । इस कुति में दस्तुबंध, चीपई एवं दोहा छन्द प्रमुख हैं । कवि ने भविष्यदत्त की बहन कथा को न गंक्षिप्त रूप में लिखी है और न विस्तार से । लेकिन इतना अवश्य है कि कुछ स्थानों को छोड़ कर वह उसमें काव्य चमत्कार उत्पन्न नहीं कर सका और सामान्य रूप से अपने पात्रों का निरूपण करता गया । ८ परमहंस चौपई प्रस्तुत कृति ब्रह्म रायमल्ल की अन्तिम कृति है। यह एक रूपक काव्य है जिसमें परमहंस प्रात्मा नायक है । रचना के प्रारम्भ में २५ पद्यों में जीव के स्वरूप का वर्णन किया गया है । इसके पश्चात् काव्य प्रारम्भ होता है । परमहंस की चेतना स्त्री है तथा उसके चार पुत्र है जिसके नाम है मुख, सत्ता बोच और चेतन । एक बार माया परमहंस के पास गयी और उसकी स्त्री बनने के लिये निवेदन किया । माया ने मीठी-मीठी बात करके परमहंस को राजी कर लिया और वह उसकी पटरानी बन गयी। परमहंस सम कियो विचार, माया कु कर अंगीकार । पटराणो रामो कर भाव, परमहंस के मन प्रतीचाव । माया ने घर में प्रवेश करते ही पांचों इन्द्रियों पर अपना अधिकार कर लिया । वे अपने पति परमहंस के वातों की अवहेलना करने लगी। पापी मन ने अपने पिता को बांध कर बन्दी-ग्रह में डाल दिया। मन पापी ज पाप चितयो, पिता बांघि तब यदि महि दयो। इसके पश्चात् मन राजा राज्य करने लगे। राजकुमार भन ने दो नारियों के साथ विवाह कर लिया। उनके नाम थे प्रवृत्ति एवं निवृत्ति । दोनों ने बन्दी राजा राज कर भगवतदास, राजकंवर रोवे बहु तास । परजा लोग सुली सुखवास, दुरवी दलीद्री पुरवै प्रास ।। सोलाहस तेतीसै सार, कातिक सुदि चौदसि सनिवार । स्वाति नक्षत्र सिद्धि सुभ जोग, पीडा दुख न व्याप रोग ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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