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________________ दो शब्द मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि श्री महावीर अन्य अकादमी के इस 'प्रथम पुष्प' के लिए मुझ से 'दो पाब्द' लिखने को कहा गया है । श्री महावीर ग्रन्थ प्रकादमी जयपुर के इस प्रथम पुष्प में महाकवि 'ब्रह्म रायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवनकीति" के अन्य प्रकाशित किये गये हैं। इन ग्रन्थों का विद्वत्तापूर्ण सम्पादन १० कासलीवाल ने किया है । हिन्दी साहित्य के अनुसंधान के क्षेत्र में डा० कासलीवाल का स्थान महत्वपूर्ण है। इन्होंने हिन्दी जैन साहित्य के योगदान की ऐतिहासिक स्थापमा की है। जैन ग्रन्थ भण्डारो को ग्रन्थ सूचियां प्रकाशित कर के इन भण्डारी में उपलब्ध ग्रन्थों के नाम हस्तामलकवत् कर दिये है। इस भगीरथ प्रयत्न में इन्हें सपारू का 'प्रद्युम्न बरित' मिला जिसका सम्पादन करके भी इन्होंने पश पजन किया 1 यह प्रद्युम्न चरित सूर पूर्व बज भाषा का प्रथम महाकाव्य म्सना जा सकता है। महावीर प्रन्य प्रकादमी, जयपुर की स्थापना में भी डा. कासलीवाल का ही प्रमुख हाथ रहा है । इस अकादमी की पंचवर्षीय योजना का दो सूत्री कार्यक्रम बनाया गया है । इस का द्वितीय सूत्र इस प्रकार है१. २० भागों में जैन कवियों द्वारा निबद्ध समस्त हिन्दी साहित्य का प्रकाशन । यह सूत्र ही हिन्दी साहित्य की समृद्धि को प्रकाश में लाने और उसके इतिहास की कितनी ही अचचित भोर उपेक्षित कड़ियों को उभार कर ससंदर्म उन्हें पथास्थान लगाने का श्लाध्य कार्य करेगा । महावीर ग्रन्थ पकादमी संकल्पबद्ध होकर पंचवर्षीय योजना का कार्य सम्पादित कर रही है. यह इस 'प्रथम पुष्प' से सिद्ध होता है। __ आज यह 'प्रथम पुष्प' पाठकों के सामने है और इसमें "ब्रह्म रायमल्ल और त्रिभुवनकीति" के कृतित्व का प्रकाशन हुआ है। यदि इन दोनों कवियों के अन्धों का पाठ ही प्रकाशित करा दिया गया होता तब भी इस कार्य की प्रशंसा होती और अकादमी का योगदान ऐतिहासिक माना जाता। किन्तु सोने में सुगन्ध को भांति सा. कासलीवाल ने परिश्रमपूर्वक पाठ सम्पादित करके प्रन्य तो प्रकाशित किये ही
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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