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________________ हनुमन्त कथा संख्या में थे तथा जिसमें ३६ जातियों रहती थी। उस नगर के शामक चौहान जाति के ये जो अपने परिवार के साथ राज्य करते थे। नगर में थी पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर था और वही नेमिश्वररास का रचना स्थान था। प्रशस्ति में कवि ने अपने पापको मूलसंघ सरस्वती गच्छा के मुनि अनन्तकौति का शिष्य होना लिखा है । पूरी प्रशस्ति महत्वपूर्ण है जो निम्न प्रकार है भी भूससंघ मुनि सरसुती गछ, छोडी हो वारि कवाय नि । मनन्तकीति गुरू विदितौ, सासु सग सिषि कोयौ जी बताए। ब्रह्म रायमल्ल जगि आरिणप, स्वामी जो पाश्यनाथ को मो यानि ॥१४१।। रचना काल अहो सोलाहसे पन्द्राह रच्यो रास, सावलि तेरसि साबरण मास । बरस जी षि पासो भलो, ग्रहो असो जो बुधि दोन्ही प्रवकास । पंडित कोई औ मत हसौ, तसो जो युधि कीयो परगास ॥१४२।। रचना स्थान बागवाजी घणी नौ जी ठारिण, वसे हो महामम नम्र झाझोरिण । पोरिण छत्तीस लीला कर, गाम को साहिब जाति सौहारण । राज करो परिवार स्यौ, अहो छह वरसन को राखो जी मान ।।१४३।। छंद संध्या भयो जी रासी सिवदेवी का बालको, कड़वाहो एक सौ अधिक पैताल । भाष जी मेद जुदा जुधा, छंच नामा शब सुभवणं । कर जोर्ड कवियण कहै, भव भव धर्म जिनेसर सर्ण 11१४४।। श्री नेमिजिगोसर पय नरें। उक्त प्रशस्ति के अनुसार राम में १४५ कउ बक छन्द होने चाहिये । २. हनुमन्त कथा प्रस्तुत कृति भी कवि की विस्तृत कृतिरों में से है। भविष्यदत्त चौपई के समान इस रचना के भी हनुमन्तकथा, हनुमन्त रास एवं हनुमन्त चौपई पादि नाम मिलते हैं। हनुमान पौराणिक पुण्य पुरुषों में से एक है तथा उनकी कथा का प्रमुख उदगम स्थान रविषेरणाचार्य का पद्म पुराण है जो संस्कृत भाषा में है। हनुमान का जीवन समाज में लोकप्रिय रहा है इसलिये हनुमान के जीवन पर प्राधारित कितनी ही रचनाएँ मिलती हैं। प्रस्तुत कुति भी कवि की ऐसी एक लोकप्रिय कृति है। जिसकी कितनी ही प्रतियाँ राजस्थान के विभिन्न भण्डारों में संग्रहीत है ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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