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________________ २६० महाकवि ब्रह्म रायमल्ल हो भने जो किम सिली मातो. हो कुण वुख ये दुर्बल गातो । हिवडा की चिंता कहो जो, हो रूपिणी मन को भणे सत्तापो । चित्रासह हिया तरी जो हो सुबह बात स्वामी गुरु बापरे ।।१५१ ॥ " हो जाया पुत्र असुर हडि लोयो, हो नारवि जाई गएसी कोयो । श्रीमंधर जिरा बुझियो जी. हो जिनवरि संबर घरोह बतायो । विद्याधन रोजी हो सोल१55 हो स्वामी प्राजि अवधि बिन केरो हो श्रजौह न प्रायौ बालक मेरो । परिपूर बिन बाजि को जी, हो तहि थे छिता दुर्बल गतो । प्राण जाहि सौ प्रति भला जो हो सक्यो तंबोल प्रश्न सहु नीरो ।।१५३ ।। हो जती म ख म करि प्रयागी हो हमने जो पुत्र श्रावणो जालो । करो काजु जो तुम्ह कहौ जी, हो रूपिणि मन में करे विचारी । प्रहीण वीसे जती जी, हो ईसी पुत्र किम होई हमारो ।। १५४ ।। हो बात रूपिणी मन मैं आणी हो मुनि वचन पुगी सह नाली | दूध अंचलों वालीयी जी, हो कामदेव मनि करे विचारों । माता दुख पार्ने घणौ जो हो प्रगट रूप तब भयो कुमारी |११५५॥ हो नमस्कार करि चरणां लागौ हो भीषम पुत्री को दुख भागौ । असुरवात आनंद का जो हो बुझें बात हरिष करि मातो । सहसंबर का घर तो को, हो मयण मूल को कह्यो विलांस ।। १५६॥ हो भर्ण मात पनि कंचनमालो, हो बालक सुख दीठा बहु कालो । मैर रूप बालक भयो की, ही घाई मात का श्रांचल चूखे । क्षिण ठाकौ क्षिणि गिरि पई जी, हो रोब हंस क्षण में रूसे ।। १५७॥ हो अरण एक हूं को डोले, हो वचन सुहावा तोतला बोले | धति भरिक माता मिले जी. हो रूपिलि के मनि भयो विकासो । बालक का सुख भोगया जो हो मयण मात की पूरी आसो || १५वा
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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