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________________ २५६ महाकवि ब्रह्म राममल्ल हो पुत्र पंचर्स लीया बुलाइ, हो सार बेगि काम तं जाए । ते मन में हरषा भया जी, हो मयण सेई बन क्रीडा चत्या । मांझिबाउडी चंगियो जी, हो ऊपरि मोटा पाथर राज्या ।।११।। हो कामदेव ते सह पाकडिया, मयण नम्र में आइयो जी । हो राणी नेत्र रूबिर अति चूर्वे, करि प्रपंच तनु पडियों जी । हो हम ने पापी मेणा बिगो रास भणौ परदवण को जी ॥ १२०॥ 2 हो राजा मार्ग भई पुकारो, हो कोटी भयो परदमन कुमारी । मेरो अंग विलूरियो जी, हो संबरि राइ कोप बहू कोयौ । मात करो परदमन को जी, हो सह सेवक नं दूषौ दीयों ।। १२१ ।। हो सेवक जाई मैयणस्यो लागा, हो केई जी भागा के रिणी मारया | आप राज संबर चढिउजी हो कामदेव संवर बहु मिडिया । विद्या ज्यु कोयो घणीजी, हो जाणिकि माता कुंजर जुडिया ।।१२२ ॥ हो जब राजा की सेना भागो, हो विद्या तीनि तीया पे मांगी। विद्या तो ले गर्यो कुमारी । रात तणा व्योहारो ॥ १२३॥ राणी मनि बिलखी भई जो हो राजा मन में ति जी, हो देखी हो संबार बाण जाई नवि संघिउ, नागपासि स्यौ तंक्षण बंधिउ । कामदेव रिणि जीती जी, हो तो लग नारद मुनिवर प्रायो । मैर्याणि मुनी का पद नम्या जी, हो हरिष दुहुं के अंगिन भावे ।। १२४ ॥ 3 हो नारद भणे मयण सुणि कते हो तुम्ह तो जो करियो काम अजुगती । स्वामी गुरु क्रिम बंधि जं जी, हो पालि पोसि जहि कीया ठाठो | राम चरण निस बंदि जंजी, हो बिनो भगति प्रति कीजे गाढी ।। १२५ ।। हो सुणी बात राजा छोडित, हो नमसकार करि कर जोडिउ । हम थे चूक घणी पड़ी जी, हो संचर राई बहुत सुख पायो । समाचार नारद कहै जी, हो कामदेव ने लेवा भायो ।। १२६ ।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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