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________________ २२८ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल हो रणा देवी भणे मबीह, ते नर तो पंचाइण सीह । सुणि कोठीभर वोलियो, हो शील बिहणा लेह मलोह । जे चारिता निर्मला, ते नर तो पंचाइण सीह ।।२१७।। हो सोमा देवी कहै विचार, कोघ धर्म जग तारण हार । सुपि कोढीमड बोलियो, हो ग्यारह प्रतिमा प्रावक सार । तेरह विषि पत मुनि तणा, हो कुण धम्म जगि तारण हार ॥२१।। हो संपद बालो वचन सुभाg, सो सी तिरता बिg । सिरीपाल उत्तर दीयो, हो दीप भवाइ मध्य पटु । बुरी पराइ ना कहै हो सो नर तौज विरला दट्टि ॥२१६।। हो चंद्र लेख सुभ षण भणेह, सो नर तो तिह काई करे । सुभट फेरि उत्तर दीयो, हो वरष इक्यासी को नर होइ । चौद बरष कन्या बरं, सौ मर तो तहि कोइ करे ।।२२०॥ हो बोलो पदमा देषि सुभग, एता कारण कहं न लग । सुणि कोडीभड घोलियो, हो कायर लीयो हाय खडग 1 दुहगी जोबन सूक सर, एतौ कारण कहूं न लग ।।२२१॥ पाठ कन्याओं का श्रीपाल के साथ विवाह हो सिरीपास जब उत्तर दीयो, पाठी का मन हरण्यो भयो । राजा लगन लिखाइयो, हो वेदी मंडप बहुत उछाह । विप्न अग्नि साखी दीया, हो कोडीभड को भयो विवाह ।।२२२।। हो आठ सहस परणी सिरीपाल, तहि को कौण कर बगजाल । घोडा हस्ती को गिण, हो सेव कर ठाडा भो बाल । इन्द्र जेम सुख भोगवं, हो सुख में जातम जाण काल ॥२२३।। हो एक दिवस चित सिरीपाल, सुख में बार बरस गो काल । मणासुदरि बीसरिउ, हो दुख करिसी कुदापहु माइ । सु'दरि संजम लेइसी, हो तजौं प्रमाद मिली अब जाइ ।।२२४।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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