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________________ श्रीपाल रास २२५ हो करि बिषाहर्षि ल्याइयो, धवल सेट्टि परन पनियो । रूप हमारो देखियो, हो पापी सेट्टि रफयो भनि कूज । सिरीपाल जलि रालियो, हो कामी सेठि बिकल मति मूढ ॥१९३| हो सह विरतांत पाछिला काहया, सेदि जके प्रपंच ठालिया । बात विचारो चित्त में, हो सहू सनमंघ पाछिलो सुन्यो । मनि पछितावा बहु कर, हो जाणिकि भयो वन को हपो IIII हो तक्षण गयो राउ धनपाल, करि उछाह पाण्यो सिरीपाल । गोवलि गूढी उछली, हो नयज छाडिउ घुजा विसाल । दुर्य तिया मन हरषि भई, हो रेणमंजूसा प्ररू सुणमाल ||१६|| राजा द्वारा श्रीपाल से क्षमा याचना करना हो राजा क्रोध मान सह छोट, सिरीपाल मागे कर जोसि । द्वाही रहि विनती कर, हो क्षमा करो हमस्यो घरधीर ।। हम पापी जाणो नहीं, हो तुम कुलवंत सुभद बरवीर ॥१६॥ हो सुणि जंप कोडीभड जाण, राजा विकल बिवेक प्रयान । हीए बात सोची नही, हो कही हुम किम सागर तिर । राजा पुत्री क्युबरै, हो मुनि का वचन प्रतीति न कर ॥१७॥ हो रणमंजसा हरष न भाइ, सिरीपाल का बंधा पाह । राज लोक में गम कोयो, हो राण्या कीयो बहुत सम्मान । भोजन दीनी भगति स्यो, हो वस्त्र जड़ाउ पटंबर दान ||१t-It घचल सेठ को बन्दी बनाना हो राजा किंकर पठया घणा, भाणी इंघि घवल सेठि तक्षणा । चंधि सेठि ले प्राइया, हो मारत राजन संका करें । भूस दीयो बहु नासिका, हो प्रधिो मुख पग ऊंचा करै ॥२६॥ है भणे सुभट सुणि राजा बात, मेरो सेठि धर्म को तात । हम उपरि किरपा करो, हो छोडतु सेट्टि दया करि भार । बाथै जिसो लुणे, हो राखौ बाल हमारी राउ ॥२०।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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