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________________ श्रीपाल रास २२३ सो सेटि वचन सुणि हरसर भया, राजा सभा डूम सा गया । असर मांगमो सउर्फ, हो गाने गाये गीर हु : स्वांग मनोहर प्रति कर, हो विद्या मयल कर सिर चंग ।।१७७।। हो राजा देखि बहुत हरिपीयो, सिसेपाल में दुक दीयो । धुम जोग दान द्यो, हो सिरीपाल दान बुलाइ । डुमा पाखंड मोडियो, हो रहा सुभट नै कठि लगाइ ।।१८।। हो एक ड्रमही उट्ठी रोई, मेरी सगी भत्तौजी होइ । एक डूमबी बीनब, हो इह मेरी पुत्री भरतार । बहुत दिवस थे पाइयो, हो कामि तजि किम गयो यार ॥१७॥ हो एक डुमड़ी कर पुकार, पुष दोइ जाया इक बार । शालि पोसि मोटा किया, हो करी लडाइ भोजन जोग । समुद माझ लहुन पडिज, हो लाघो प्रावें कर्म के जोय ॥1॥ हो छूम एक बोल बिसंत, इहु मेरी मागजी कंत । बहुत दिवस मिलिबो भयो, हो एक डूमठी भणे रिसाद । सिरीपाल प्रावह मिली, हो मेरी बहण पुत्र तु प्राहि ॥१८॥ हो एक डुमडी तोझ गाल, छोडि कहाँ भागा सिरीपाल । बालपणे मुझ दुख दीयो, हो परणी नारिन छोडे कोह । बात प्रजुगती ते करी, हो पर न जीच तो छोडौ तोहि ।।१२।। हो सुणि रारा डूम को शत, उपनी दुख पसीनो गात । कोटपाल सेथी भणी, हो सिरीपाल ने सूसी देहू । बात अजुगती बहु करी, हो बंधी बेगि वस्त्र सह मेहु ॥१५३॥ हो कोटपाल सुणि राजा बात, बंधि सुभष्ट के मुको लात । सूत्री जोन चलाइयो, हो गुणमाला तब लाधी सार । स्दन कर मस्तक घुणे. हो तंभन रास्या सह सिंगार ॥१४॥
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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