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________________ थोपाल रास हो त श्रीस्थी बोल्यो रास, इहते देह राहरपन हाउ । वर सुदरि प्राइयो, हो बन माहै छ भानो सराइ । मंत्री कहिए सुभरस्यो, हो डेरौ तासु में प्राइ ॥३०॥ हो राज बचन सुणि मंत्री गयो, सिरीपालस्यौ तिहि बीनयो । विनी भगति भासोणे घणो, हो देइ उतारी मंत्री जाष्ट्र । राजास्यो बोनसी कर. हो असौ बुझती होइन राइ ॥३१। हो कहूं फह्यो रावल में जाइ, हो भयो सोक अति नाज न खाइ । राजा की प्रति सहु गइ, हो कोडी ने किम सुंदरि बैई। अपजस जग में विस्तर, हो अंसा कर्म न नीच करै ।।३।। हो भणे मंत्री पुणि राउ विचार, काग गरी किम सौभ हार । यात प्रगती तुम करो. हो कहां मंगासुदरि सुकमाल ।। कहां कोढीवर तुम्ह जोडयो, हो रानुचंद्र पढ़तर नोवाल :।३३।। हो मुण्या बचन अप पहपाल राज विभूति भली सिरोपाल । राजा के घोडा घणा, हो इहर्फ बेसर गदहा प्रावि । राजा के सेवक घणा, हो कोढी के भला सात सै साथि ।।३४।। श्रीपाल के साय विवाह हो लगन महरत वेगि लिखाइ, बेदी मंडप सोभा लाइ । वस्त्र पटंबर तारिणया, हो वर कन्या ने तेल चहोडि । सोल सिंगार जु सानिया, हो बैशा बेदी नंमल जोति ॥३२॥ हो बाभण भणे वेब झणकार, कामिणो गावं गीत सुचार। भाट भणे बिडवावलो. हो र कन्या देखे नप सप । मनि पछिलाश बहु कर, हो मैं पापी अति करी विरूप ।। ३६।। हो असा कर्म नीच नवि कर, हो देख रुप छिप प्राप्त भएँ । चोसे कर्म बिटबना हो, फर्म राम राजण करि छार । हरि हर ब्रह्म विबिया, हो कर्म किया करों सिंघार ।।३७॥
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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