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________________ २०२ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल हो देव शास्त्र गुरु बंबा भाइ, बुधि होइ तुम तनी पसा | कुमति कसे सन उपजी, हो मैना सुंदरी शुभ श्रीपाल । सिद्ध चक्र व सेवियो, हो कोडि गुणी करि पूज विसाय ||७|| हो जंबू दीप प्रतिकरं विकास, दीप असंख्या फिरिया पास लूण समदस्यों नेढीयो हो जोजन लाख वर्णो विस्तार | मेरू मधि प्रति सोभिता हो भोग भूमि गिरि नदी पार || राजा पहुपाल एवं उनका परिवार हो दक्षण दिशा मेरू की जाणि, भग्य क्षेत्र अति नीकं दाणि । देश ग्राम पट्टण घणा, हो तिह में मालव देरा विशाल | उजेणो नग्री भली, राज करें राजा पुहपाल ||रास ||९|| होट्टतीया तस सुंदर माल सामोद्रिक गुण वणी विशाल । रुप अपरा सारिखी हो पुत्री दोइ तासु घरि जाणि । सुरदार जेही सही हो मँणासुंदरि शील मुजाणि ॥ रास ||१०|| हो एक दिन राजा गुहपाल, सुर सुंदरी घाली सोम विप्र ग्रागँ भने हो देव शास्त्र गुरू ल पछि पुराण भिध्यात का, हो जह थे पट् काया को चटसाल । न भेद । रास ।। ११ हो तर्क शास्त्र पढिया बहु भाय पढत पढन व्याकरण जाय । समरित सहित बहु भण्या हो तहि ये होह जीव को घात । मत मिध्यात पदेश दे, हो जाएं नहीं जैनि की बात || रास।।१२।। हो लडो मेणासुंदरि जाणि, देव शास्त्र गुरू रास्ते मान । समपर मुनि श्रागे भर्ण हो कर्म ग्राट तंशो प्रस्ताल | भाव भेद जाण्या सर्व, हो श्रास्रय क्रमं जीवन काल || रास ।। १३ । सुरसुंदरी से इच्छित वर के बारे में पूछना हो एक दिन राजा पुहपाल, सुर सुंदरी साज्यी बनवाल । देख विचार चित में, हो पुत्रीयों जये करि भाव । मन वांछित हमस्यौ कहो, हो सो तुमनं हु व्याहे राउ |रास | १॥
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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