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________________ भविष्यदत्त चौपई १६१ कोज पाह मुगं अपधारा कोड, नाग कुमारि परतखि होइ। बन बेबी तिष्टं इहि मान, भवसवंत मनि भये गुमान ।। १८६।। वैचो नरण न मटक फोx, तहि को अंग पसेव न होई । मलस्पी भूमि पर्या परणी, हि 4 माह सह! सुनिल || tv ।। भवसवंत बोलियो विद्यारि, बेगी बेहि पाचमन कुमारि । मन मैं संका करो न करे , विघना लिहयो न मेट कोह ।।१८६।। सुगरि भणे सुरपी हो नाप , हम तुम बरसण नौ तन' बात । गैसो कुल काया को साम , पहली ही किम छोरी लाव ||१८६।। से प्रगोट आचमन दियो , भवसरत मनि हरलो भयो । उपरा जपरी देइ सनमान , सुखस्यो तिष्ट उत्तिम थान || १०|| सुपरि मनि चिता उपमो , कीजे भक्ति पाहण! तणी । भोजन विजन महा रसाल , सनान सुगंधी पस्त्र सुकमाल ||१६१|| योवति पट्ट कली की सार , मिणवर प.जा कर कुमार । मा मायो सुदरि पान, पाव पक्षालिबह पीनों मान ।। १६२॥ गावी ये एकासीफा तणी, सोवन छोको सौभा घणी । सोवन पाल कचाला वियर, निर्मल पाणी लालिया ||१९३|| घेवर पचधारी लापसी, अहि ने जीमत प्रति मन खुसी । उज्जल बहुत मिाह भती, अहि ने जीमत पति मनरली || १६४:1 बाटा तोर बिजन भाति, मेरुवा बहस राइता जाति । मुग मंगोरा सानो शाल भात पहायों सुगंधी सालि ||१६|| १. तम क प्रति । २. पटकुल - स प्रसि । ३. जीका कप्रति । ४. मंओराब प्रति ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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