SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भविष्यदत्त चौपई होसी सही बुरा को बुरी , कहूं बात को डर मन करी । भल मलाइ होसी मात , देखि दीप पावु कुसलात Intell भविष्यदत्त द्वारा विवेश-प्रस्थान नमसकरि माता नै करि चाल्यो , तक्षण बंधूदत्त न मिल्यो । भासी लघु भाईस्या बात , हम पण चाला तुम्हारे साथि ॥१०॥ बंधुदत्त मनि प्रानंद भयो , भाड तणा चरण बंदियो । अब बल हम हृते अनाथ, तुम चालता हम बहुत सुनाथ ।।१०१॥ तुम सह लाज गाज का धणी . स्वामी खिबमत करिस्या घणी । तुम सहु ताडा का प्रधान , मेरै पुज्य पिता को पानि ॥१०२।। बन्धुदत्त को माता द्वारा सिखाना ऐसह बात सुणी स्पणी , सृत नै मीख देइ पापिणी । बडो पुत्र इह घनपति तणो , लसी द्रव्य सबै प्रापणौ ॥१०३।। भवसदत्त को करसी म्बास , जहिथें होइ जीव को नाम । धणी बात को करे पसार , वरी को कीजे संघार ||१०४|| विवेश यात्रा पर प्रस्थान सुप्पा वचन जे माता कहो , मन मै दुष्टाई करि रह्यो । लीयो महुरत तिथि सुभवार , चाल्यो दीप न बंधुदत्त कुमार ।। १०५।। दही दो वणकि सावल दीया, सुगन सब मन बंदित भय।। पहुंचावण नाल्या सह लोग, दीयो नारेल बधुदत्त जोग ।।१०।। वणिवर चाल्या पंचसं साथ, मजन लोग मिल्या भरि बाथ । मिल्यो पुत्र ने सेठ परि गयो, अतर तर परवत बहु भयो ।।१०।। लंधी नंदी वाहाला खल, वन पर्वत दीठा असराल । चले बहुत दिवस वर वीर, कम जोग पकडी जल तीर ।।१०।। कोद विन लीयो विसराम, मुस्खस्यों समद नटि ठाम | लग्न महुरत ले सुभवार, इष्टदेव की पूजा सार १०।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy