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________________ १५२ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल बीडा करि शाम वशियर मध्य सारथ बाहु । न माझि पट है बाजियो, बंधुदत्त सागरगम की यो जहि को मन चालण को होइ, लेह बसत्र पाल सहु कोई । सुणि बात मन हरियो भयो, वाण्या बहुत किराणा सीयो भविष्यदत्त द्वारा माता के सामने विदेश यात्रा का प्रस्ताव भवसदंत सह ब्यौरा सुण्यो वेगा जाय मातास्यो भो । हमने दुवो दीजे मात चाल बंधुदत्त का साथि ॥ ६० ॥ . , कोहड़ा मोहि दीप देखण को भाउ, साथि पाल पंच सौ साहु । मनुषि जन्य संसारा याद, ताकी बस्तु देखिजे माई ||११|| कमलश्री के विचार कहै बात सा मन में डरी। 1 बंधुदंत तुम ऐको तात HERI पुत्र वचन सुणि कमलश्री हिय पुत्र बिचारी बात , P दुष्ट भाउ तुम उपरि करें बंधुदंत संग मति फिर तुमने बंरी करि करि गिणं, यह तो बात पुत्र नवि वर्णं ॥३॥ बेरी विसहर सारिखो, तिहि नीडं मत जाई । बेरी मारे डावदे, बिसहर पे खाई ॥१६४॥ देरी बिसहर जब मैं प करें महंत | बिसहर मंत्र उत्तरं, बेरी तंतन मंत ॥६५॥ बैरी बट पाडो बागुस्यो, नाहर ऐना होई न भापणा, निचे करें डाइणि चाड । विगाड़ || १६ | । ' चोपाई — कमलश्री साँझली बात भवसदेत बोल्यो सुणि मात । जे कोइस्यों करें उठाउ, तब ले बेरी धाले धाउ ||३७॥ सुध नीति मारग मोहरं तहि को दुरजन कार्यों करें। जो है साथि पचसं साहु मुठ सोच को करसी च्याउ ||६८ || RI
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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