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________________ भविष्यदत्त चौपई भर की सुदरि प्राण प्राधार , तहि को पुत्र महा सुकमास । माता पिता विचारै जोई , विण अपराध न काढे कोई 41३२।। कर कुकरम सुता सुत कोइ , माता पिता ने बहु दुख होइ । रूनी माता के गलि लागि , हूं पिय काही कर्म प्रभागि ॥३३॥ में अपराध न कीयो कोइ , विण अपराध दियो दुख मोह । कोई कर्म उदै पाइयो , ताहि ये क्रोष कंत नै भयो ।।३।। कहै माता कमलश्री सुणौ , सुध चित्त राखी प्रापणौ । सासू कंत दुख दे घणो , सरणाइ घर माता तणौ ॥३५॥ दुखि दलिट्री ने दिड दान , भोजन करी रही थिरथान । सुंदरि मात पिता परि बास , कर दुस्ख प्रति सास उसास ॥३६॥ बहु सुत मंत्री सेट्ठ को जाम , प्रायो सट्ट धनेश्वर ठाम । पंडित प्रधि मिलेक सुजाण हो चिन्ता पूर्व प्राण्ड ! १५०!! कमलश्री तुम पुत्री जाणि , सजम सोल रूप को सांनि । नाहक सेठि निकालो दीयो , पूर्व असुभ उदै प्राइयो ।३।। तुम मन माहि संक मति घरी , सुदरि का मन कीयो बुरी । हंधमिपति यो समझा जाय , दिन दस पांच तुम्हारं थाय ।।३।। बात कहि मंत्री धरि गयो , मात पिता ने बहु मुख भह्यो, । पुत्री ने बहु दीन्हीं मान , कनक बस्त्र मुभ सेज्या थांन ।।४।। भविष्यदत्त का ननिहाल जाना कंवरि बिदा लीन्ही गुर नणी , भवसदंत प्रायो घर भणी । दीदी पिता कूर बहु चित्त , क्रोध सरीर ह रात्ता नेत्र ।।४१!। मवसर्दत दिठिन पडि मात ., पाासनिस्यों बुझी बात । ब्योरी बात सर्व तहि भन्यो, जाणि कहीयो वन को हण्यो ॥४२॥ ... बात विचारि कवर चालियो , नाना के घरि ठाढो भयो । माता माग हुषो खहो , जहाँ गाइ तहाँ बाछडौ ॥४३॥
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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