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भविष्यदत्त चौपई
पोसौ सामाइक शुभ फर 1 मत मिच्यात नाम परिहरै ।। मुभ प्राचार सौलस्यों रहे। पुण्य उदै सुभ भोगस्यो गहे ।।२२।। बुजी सेठ धनेसुर बास । बहु लषमी तणे निवाप्त । सेठिनो नाम तास धमधी । गण लावण्य रूप घटु भरी ।।२३।। सेठ सेठिनी भोग भोग। पुत्री भई फर्म संजोग । कमलथी सुभ ताको नाम । बाणी सबै सामोद्रक ठाम ॥२४॥
रूप कला वेवेक चातुरी । सोभै स्वर्ग तणो अपछरी । जोवनयंत देखो तसु तात । पुत्री बहु बिचार बात ॥२५॥
पुत्री थान देह बह जोइ। कुल सुभ वो (उ) वरावरि होइ ॥
पर पर खोडिदेखि व्योपाई । पुत्री पिता विवाहै ताहि ॥२६॥ कमलश्री विवाह वर्णन
सेट्टि बात मन मैं चितवई । पुत्री धनपति जोगव दई । मडप बेधी रच्या विसाल । तोरण बंध्या मोती माल ।।२७।।
रहुं पक्ष बहु मंगलचार । कामणि गावं गीत सुचार । वर कन्या कीन्ही सिगार । चोवा चंदन बस्त अपार ॥२८।। नाचे तिया कर बह कोज । दर कन्या के बांध्यो मोड । बेवो मंडप विप्र प्राइयो । घर कन्या हपलेवो दीयो ॥२६।। दुवै पक्ष नर वटा वाखि । भयो बिबाह अग्नि दे सास्त्रि । पुत्रो वरन दोन्ही मान । कंचन बस्त्र मान सनमानु ।।३।। जानी सजन संतोषिया । बस्त्र कनक त्याहन बहु वीया ॥ हाय जोडि धनपतियों कही। कमलश्री सुझ दासी नई ॥३१।। छोडिउ मान घनेसुर कहो । पुत्री दई ' तिहि हारियो । प्रसौ लोक तरणों क्योहार । मोह जाल पडियो संसार ||३२।।