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________________ बस्तबंध भविष्यदत्त चौपाई सह प्रथम बंधा देव अरहंत । नाम लेत दुजा मरणमौ सारदा नंगि पूर्व को भ्रयं मुनिवर या मन मै बह आनंद I व्रत पंचमी प्रणमौ कमली कौ नन्द ॥२०॥ पाप नास । भाषे गणधर || विषय प्रवेश चौपई - जंबुदीप प्रति करें विकास | दोष असंख्य फिरया चहुं पास | चंद्र सूर्य द्वंद्वं सारो जाति । श्रावागमन कर दिनराति ॥ १४ मेर सुदर्सन जोजन लाख । तिहि गजयंत या बहुपासि । रिवर भवरण सासुता जहां जिनका जन्म कल्या एक तहां ||२|| पोदनपुर नगर वर्णन मेरु भाग सुभ दक्षिण वसे । भरण क्षेत्र तहां उत्तम वसं ॥ चौप काल सुभ होइ । पुरिव सिलाका उपज लोइ ||३|| लिहि मै सुभ कुछ जंगल बेस । गढ पोदनपुर व प्रसेस ॥ तहा जिवर कल्याणक होइ । पायी दुखौ न दीसे कोइ ॥ ४३ मारण नाम न सुनजे जहां हाथ पाईं नवि छेदे कान | खेलत सारि मारि जे तहां । सुभद्र खाय ते छेद पान शर बंधन नाइ फूल बंधेर । बंधन कोई किसहा मं देह ।। कामणि ने काजल होइ । हिडे मनुक्ष न कालो होइ ||६|| सर्प परायो छिद्र जु गहे । कोई किसका छिद्र न कहै । गुंगो को न दो सुनि पर अपवाद रहे घरि मौनि ॥७॥ चोरी चोर न दीसे जहाँ । घडी मीर ने चोरों जहाँ नासको किसी न ले । मन बच काइ मुनि वेह ||5|| १४१
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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