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नहाकर ब्रह्म रचना
३. रैण मनषा -- हंस द्वीप के राजा कनक केतु की पुत्री थी। सहस्रकूट चल्यालय के कपाट खोलने पर श्रीपाल से विवाह हो गया। धवल सेठ द्वारा शील मंग करने के प्रयास में वह अपने चारित्र पर दृढ़ रही और देवियों द्वारा उपसर्ग दूर किया गया । सैकड़ों वर्षों तक राज्य सपदा भोगने पर अन्त में दीक्षा लेकर स्वर्ग प्राप्त किथा ।
४. धवल सेठ-मगुकच्छ पट्टन का बड़ा व्यापारी एवं व्यापारिक जहाजी बेड़े का स्वामी । श्रीपाल की दूसरी स्त्री रणमंजूषा के शील भंग करने के प्रयास करने पर देवियों द्वारा घवल सेठ को प्रताड़ित किया गया । लेकिन राजा धनपाल के दरबार में श्रीपाल को अपने भाटों द्वारा भाण्ड पुत्र सिद्ध करने के प्रयत्न में फिर नीचा देखना पड़ा । अन्त में अपने घृणित पापों के कारण स्वमेव मृत्यु को प्राप्त हुश्रा।
५. गुणमाला - श्रीपाल की तीसरी पत्नी एवं राजा धनपाल की पुत्री । इसका विवाह सागर र कर पाने के पश्चात् श्रीपाल से हुा । पर्याप्त समय तक राज्य सुख भोगगे के पश्चात् दीक्षा लेकर स्वर्ग प्राप्त किया।
६, वौरवमन-श्रीपाल, का चाचा। कुष्ठ रोग होने पर श्रीपाल वीरदमन को राज्य भार सौंप कर बिदेश चला गया । श्रीपाल के वापस आने पर जब धीरदमन ने राज्य देने से इन्कार किया तो दोनों में युद्ध हुया और उसमें श्रीपाल की विजय हुई 1 अन्त में वीरधमन ने दीक्षा ग्रहण की ।
प्रद्य म्नरास ७. प्रद्य म्न - रुक्मिणी की कोख से पैदा होने वाला श्रीकृष्ण का पुत्र । जन्म के छठे दिन अपने पूर्व जन्म के शत्रु प्रसुर ने उसे चुरा कर शिला के नीचे दबा दिया । कालसंवर विद्याधर ने उसका लालन-पालन किया । यहां उसे कितनी ही अलौकिक विद्याएँ प्राप्त हुई' । युवा होने पर कालसवर की स्त्री कंचनमाला इस पर मोहित हो गई लेकिन प्रद्युम्न को अपने जाल में नहीं फंसा सकी। इस घटना के पश्चात् कालसंवर एवं प्रद्युम्न में युद्ध हुा । युद्ध में जीत कर नारद के साथ प्रद्युम्न द्वारिका लौट ग्राया तथा अपनी जन्म माता को अनेक कीडाओं मे प्रसन्न किया । काफी समय तक राज्य सुख भोगने के पश्चात् अन्त में दीक्षा धारण की पौर गिरनार पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया ।