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________________ 55 महाकवि भूघरदास : (ग) सन्त साहित्य का काव्यादर्श : भावपक्ष एवं कलापक्ष किसी भी काव्य का मूल्यांकन प्राय: दो आधारों पर किया जाता है - पहला अनुभूति या भावपक्ष, दूसरा अभिव्यक्ति या कलापक्ष । काव्य के इन दोनों पक्षों में अनुभूति को काव्य की आत्मा तथा अभिव्यक्ति को उसके शरीरके रूप में माना गया है। आत्मा के बिना शरीर का कोई साकार रूप नहीं है। दोनों का सुन्दर समन्वय ही भारतीय काव्य का लक्ष्य रहा है। इस दृष्टि से सन्तों का काव्य विचारणीय है । विरोधों एवं प्रशस्तियों से अनुप्राणित हिन्दी का निर्गुण सन्त काव्य ज्ञानधारा में एक ओर अपने को उस परम्परा से जुड़ा हुआ पाता है, जिसका अनुभव शास्त्र के विधि विधानों से ऊपर है, जो गूंगे के गुड़ के समान स्वयं आस्वाद की वस्तु है, तो दूसरी ओर लोक भाषा की अलिखित परम्परा से जुड़ा हुआ है, न जिसके पास परिमार्जित भाषा है, न छन्द, न अलंकार । निर्गुण भावधारा में एक ओर मानव के सम्पूर्ण जीवन का लक्ष्य है, तो दूसरी ओर ऊपरी कलासज्जा एवं रूप निखार की ओर से उदासीनता । यह उदासीनता संत कवियों के उस दृष्टिकोण की परिचायिका है, जिसके द्वारा वे सत्य के उद्घाटन में बाह्य अथवा स्थूल के प्रति पूर्णतया अवज्ञा करते हैं । परस्पर इन दो विरूद्ध मान्यताओं के मध्य इस विस्तार को देखकर निर्गुण संत काव्य के सम्बन्ध में विज्ञप्त मंतव्य अतिरंजनायक्त ही प्रतीत होते हैं। इन दोनों मंतव्यों के मध्य भी कछ विद्वानों ने विचार किया है।' सन्त काव्य के सम्बन्ध में डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी के विचार भी द्रष्टव्य हैं—“मूलवस्तु चूंकि वाणी के अगोचर है, इसीलिए केवल वाणी का अध्ययन करने वाले विद्यार्थी को अगर भ्रम में पड़ जाना हो तो आश्चर्य की कोई बात नहीं है। वाणी द्वारा उन्होंने उस निगूढ़ अनुभवैकगम्य तत्व की ओर इशारा किया है, उसे "ध्वनित" किया है। ऐसा करने के लिए उन्हें भाषा द्वारा रूप खड़ा करना पड़ा है और अरूप को रूप के द्वारा अभिव्यक्त करने की साधना करनी पड़ी है। काव्यशास्त्र के आचार्य इसे ही कवि की सबसे बड़ी शक्ति बताते है । रूप के द्वारा अरूप की व्यंजना, कथन के जरिये अकथ्य का ध्वनन, 1. नाथपंथ और निर्गुण सन्त काव्य - डॉ. कोमलसिंह सोलंकी पृष्ठ 24
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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