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महाकवि भूधरदास :
सुन ज्ञानी ...... सुन ज्ञानी प्राणी, श्री गुरु सीख सयानी ॥ टेक ॥ नर भव पाय, विषय मति सेवो, ये दुरगति अगवानी ।।
॥सुन ज्ञानी प्राणी. ॥ यह भव, कुल, यह तेरी महिमा, फिर समझी जिनवाणी । इस अवसर में यह चपलाई, कौन समझ उर आनी ।।
॥सुन ज्ञानी प्राणी. ॥ चन्दन काठ कनक के भाजन, भरि गंगा का पानी। तिल खर रांधत मंद मती जो, तुझ क्या रीस विरानी ।।
॥सुन ज्ञानी प्राणी ॥ 'भूधर' जो कथनी सो करनी, यह बुधि है सुखदानी । ज्यों मशालची आप न देखे, सो मति कहै कहानी ॥
" सुन ज्ञानी प्राणी. ॥
- भूधरदास