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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 381 जाते हैं। वर्षा ऋतु में तूफानी हवा बहती है, बादल तीव्र वर्षा करते हैं। ऐसे समय में वीर मुनिराज नदी के किनारे, तालाब के किनारे, चौराहे पर कर्मों का दहन करते हैं। जो मुनिराज शीत की बाधा सहते हैं; वे तारण-तारण कहलाते - उष्ण परीषह ( गर्मी की बाधा सहना ) · भूख प्यास आदि अंतरंग में पीड़ित करते हैं, सम्पूर्ण शरीर दग्ध होता है, अग्निस्वरूप ग्रीष्मकाल की धूप गर्म रेत की तरह झलसाने लगती है, पर्वत गर्म हो जाते हैं, शरीर में गर्मी उत्पन्न हो जाती है, पित्त कोप करता है, दाह ज्वर उत्पन्न हो जाता है - इत्यादि अनेक प्रकार की गर्मी की बाधा साधु सहते हैं और धैर्य नहीं छोड़ते - दंशमशक परीषह ( मच्छरों आदि के काटने की बाधा सहना) - मच्छर और मक्खी काटते हैं, वन पक्षी अनेक प्रकार से दुःख देते हैं, विषैले सर्प और बिच्छू डसते हैं, बहुत से कनखजूरे चिपक जाते हैं, सिंह, सियार, हाथी सताते हैं; रीछ भालू, रोझ आदि बहुत दुःख देते हैं। ऐसे अनेक कष्टों को समभावों से सहने वाले वे मुनिराज हमारे (मेरे) पापों को दूर करें। नग्न परीषह ( नग्नता की बाधा सहना ) - अंतरंग में विषय वासना वर्तन से और बाहर में लोक-लाज के भय से दीन संसारी प्राणी परम दिगम्बर नग्न मुद्रा धारण नहीं कर सकते है; परन्तु शीलवतधारी साधु ऐसी कठोर नग्न परीषह को सहते हैं और बालकवत् निर्विकार और निर्भय रहते हैं। उन मुनिराज के चरणों में हमारा नमस्कार हो। अरति परीषह ( अरति के कारणों को सहना ) - देश और काल का कारण पाकर अनेक प्रकार के दुःख होते हैं, वहाँ संसारी प्राणी दुःखी होते हैं और स्थिरता छोड़ देते हैं। अरति परीषह के उत्पन्न होने पर धीर मुनिराज हृदय में धैर्य धारण करते हैं। धैर्यशील वे साधु हमारे हृदय में निरन्तर वास करें। ___ स्वी परीषह ( स्त्री को देखकर काम विकार न होने देना ) . जो वनराज सिंह को पकड़ लेते हैं, सर्प को पकड़कर पैर से दबा लेते हैं, जिनकी - - - 1. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, भूधरदास, अधिकार 4, पृष्ठ 32 2. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, पूधरदास, अधिकार 4, पृष्ठ 32 3 से 5. पार्वपुराण, कलकत्ता, भूधरदास, अधिकार 4, पृष्ठ 33
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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