________________
एक समालोचनात्मक अध्ययन
और भेदविज्ञान करता है तो तत्त्वविचारादि के अभिप्राय सहित करता है। इसी प्रकार अन्यत्र भी परस्पर सापेक्षपना है। इसलिए सम्यग्दृष्टि के श्रद्धान में चारों ही लक्षणों का अंगीकार है तथा जिसके मिथ्यात्व का उदय है, उसके विपरीताभि निवेश पाया जाता है, उसके यह लक्षण आभासमात्र होते हैं; सच्चे नहीं होते । ""
361
-
भूधरदास ने " चर्चा समाधान" नामक ग्रन्थ में सम्यग्दर्शन का वर्णन अनेक प्रश्नोत्तरों के माध्यम से किया हैं । उनमें कुछ प्रमुख चर्चाएँ (प्रश्न ) हैं - सम्यग्दर्शन का क्या स्वरूप है ? " व्यवहार सम्यक्त्व कैसे कहिए और निश्चय सम्यक्त्व कैसे कहिए ? 3 सम्यक्त्व की उत्पत्ति दोय प्रकार है एक निसर्गत, दूजी अधिगमते । तिनका स्वरूप क्या है ?1 पाँच लब्धियों के होने पर ही सम्यक्त्व होता है, उनमें चार लब्धियाँ तो भव्य और अभव्य दोनों को हो जाती हैं। पाँचवी करणलब्धि जिसको सम्यक्त्व होना हो उसी को होती है । पाँच लब्धि में करणलब्धि का क्या स्वरूप है ? ' गोम्मटसार में सम्यक्त्व के छह भाग (भेद ) कहे जाते हैं - मिध्यात्व सम्यक्त्व, सासादन सम्यक्त्व, मिश्र सम्यक्त्व, उपशम सम्यक्त्व, क्षयोपशम सम्यक्त्व, और क्षायिक सम्यक्त्व इन छह सम्यक्त्व का स्वरूप क्या है। सम्यक्त्व सहज साध्य है कि यत्न साध्य है ।' विद्यमान भरतखंडविषै पंचमकाल में सम्यग्दृष्टि जीव केतेक पाइए ? सम्यक्त्व अनुमान का विषय नहीं है; परन्तु शास्त्र के विषै या बिना तो कोई वस्तु न होइ यातें सम्यक्त्व के बाह्य लक्षण शास्त्र विषै क्यों न होंहिंगे ? उपयुक्त सभी चर्चाओं के समाधान यद्यपि मूलतः पठनीय है; परन्तु इनके प्रतिपाद्य विषय का संक्षिप्त सार निम्नलिखित है -
B
y
3. चर्चा समाधान, कलकत्ता, 4. चर्चा समाधान, कलकत्ता, 5. चर्चा समाधान, कलकत्ता, 6. चर्चा समाधान, कलकत्ता, 7. चर्चा समाधान, कलकत्ता, ४. चर्चा समाधान, कलकत्ता, 9. चर्चा समाधान, कलकत्ता,
1. मोक्षमार्ग प्रकाशक- पं. टोडरमल अध्याय 9 पृष्ठ 327-328 2. चर्चा समाधान, कलकत्ता, भूधरदास, चर्चा नं. 2 पृष्ठ 5 भूधरदास, चर्चा नं. 3 पृष्ठ 5 भूधरदास, चर्चा नं. 4 पृष्ठ 6 भूधरदास, चर्चा नं. 5 पृष्ठ 7 भूधरदास, चर्चा नं. 6 पृष्ठ 9 धूधरदास, चर्चा नं. 15 पृष्ठ 16 भूधरदास, चर्चा नं. 16 पृष्ठ 17 भूधरदास, चर्चा नं. 17 पृष्ठ 18