________________
एक समालोचनात्मक अध्ययन
345 पुद्गलद्रव्य कथन - जिसमें स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण पाये जाते हैं; वह पुद्गल है।' वह पुद्गल अणु और स्कन्ध के भेद से दो प्रकार का है। पुद्गलद्रव्य रूपी है और शेष चार द्रव्य अरूपी हैं। अणुरूप पुद्गल का छेदन भेदन आदि नहीं किया जा सकता है । उसका अग्नि जलादि के संयोग से कभी नाश नहीं हो सकता है । वह आदि मध्य अवसान से रहित अविभागी है । शब्द से रहित होने पर भी शब्द का कारण है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु आदि सभी का कारण है। अनेक कारण पाकर इसके वर्णादि पलट जाते हैं।'
पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श - ये बीस पुद्गल के गुण हैं। 'दो या दो से अधिक अणुओं के मिलने से स्कन्ध होता है । स्कन्ध के अति स्थूल या स्थूल-स्थूल, स्थूल, स्थूल-सूक्ष्म, सूक्ष्म-स्थूल, सूक्ष्म और सूक्ष्म-सूक्ष्म - ये छह भेद हैं। जिनके टुकड़े-टुकड़े होने के बाद फिर मिलना नहीं होता - ऐसे मिट्टी, ईट, लकड़ी, पत्थर इत्यादि अति स्थूल या स्थूल-स्थूल पुद्गल हैं। जो छिन्न-भिन्न होने के बाद फिर मिल जाते हैं - ऐसे घी, तेल, पानी आदि स्थूल पुद्गल है । जो देखने में स्थूल लगते है; परन्तु जिनको हाथ से पकड़ा नहीं जा सकता है, ऐसे धूप, चोंदनी आदि स्थूल-सूक्ष्म पुद्गल हैं। जो आँखों से दिखाई नहीं देते हैं, परन्तु जिसमें अनेक स्पर्श, रस, गन्ध आदि होते हैं वे सूक्ष्म-स्थूल पुद्गल हैं। अनके प्रकार की कार्माण वर्गणाएँ जो इन्द्रियगोचर नहीं हैं, वे सूक्ष्म पुद्गल हैं । दूयणुकादि अणुओं का बन्ध सूक्ष्म-सूक्ष्म पुद्गल है। इन छह प्रकार के पुद्गल स्कन्धों में पुद्गल के गुण स्पर्श रस वर्णादि सभी रहते हैं । यह सम्पूर्ण दृश्यमान लोक इन्हीं से निर्मित है । इस लोक में पुद्गल के अलावा अन्य कोई दृष्टिगोचर नहीं होता है। शब्द, बन्ध, छाया, अन्धकार, सूक्ष्म, स्थूल, भेद (खंड) संस्थान (आकार) उघोत और आतप - ये दश पुद्गल की पर्याये हैं।
धर्मद्रव्य कथन - जिस प्रकार मछली को चलने में जल कारण होता है, उसी प्रकार स्वयं चलते हुए जीवों और पुद्गलों के चलने में धर्मद्रव्य 1. 'स्पर्शरसगंधवर्णवन्तः पुद्गलः' - तत्त्वार्थसूत्र, उमास्वामी, अध्याय 5 सूत्र 23 2. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, अधिकार 9, पृष्ठ 82 3. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, अधिकार ५, पृष्ठ 82 4. पावपुराण, कलकत्ता, अधिकार 9, पृष्ठ 82 5. पाशवपुराण, कलकत्ता, अधिकार 9, पृष्ठ 82