________________
एक समालोचनात्मक अध्ययन
329 समाधान - वसुनंदी सिद्धांत चक्रवर्ती कृत मूलाधार, वीरनंदी सिद्धांतीकृत आचारसार, चामुंडराय कृत चारित्रसार शिवकोटि मुनीश्वर कृत भगवती अराधना, लघुचरित्रसार, कुंदकुंदाचार्य कृत प्रवचनसार, रयणसार, नियमसार, भावपाहुड तथा वीतरागसमयसार, देवसेनकृत भावसंग्रह तथा वामदेवकृत भावसंग्रह , पद्यनंदिपच्चीसी, ज्ञानार्णव, दर्शनसार, क्रियासार, तत्त्वार्थसार, परमात्मप्रकाश, योगसार, सूत्रकी टीका सर्वार्थसिद्धि. श्रुतसागरी तत्वार्थवृत्ति, सकलकीर्तिकृत धर्मप्रश्नोत्तर श्रावकाचार ग्यारहसौं छयासठ प्रश्न संयुक्त है, तत्त्वार्थसार टीका, आत्मानुशासन, आशाधर कृत यत्याचार , आदिपुराण, पद्मपुराण, यशस्तिलक काव्य चम्पूनामा, कर्मकांड की टीका, पंचपरमेष्ठी की टीका, यशोनंदीकृत पूजा पाठ, पानंदिकृत रत्नत्रयपाठ, स्वामिकार्तिकयानुप्रेक्षा, टीम द्वादशानुप्रेक्षा, तथा स्वामिकार्तिकेय कथा, समंतभद्रकथा, भद्रबाहुकथा, श्रेणिकचरित्र अभव्यसेन का प्रसंग, कुंदकुंदाचार्य के पंचनाम हेतु कथा, सूत्र के पाठ की फल स्तुति, राजमल्लकृत श्रावकाचार, ढोलसागर कथा, वृहत् प्रतिक्रमण, समाधितंत्र टीका, वचनकोष भाषा, साधुवंदना इत्यादि प्राकृत संस्कृत भाषा रूप अनेक जैन ग्रंथनिवि कह्या सो प्रमाण है । इहा कोई पूछे - कुन्दकुन्दाचार्य ने षट्पाहुड विर्षे मुनि के तिल तुष मात्र परिग्रह का निषेध किया है, शास्त्रादि उपकरण ग्रहण क्यों कर संभवै ?
तथाहि गाथा ....... I 'तिसका उत्तर.....।"
गद्य शैली में भूधरदास के व्यक्तित्व की स्पष्ट छाप है । वे अपने अदम्य साहस, विश्वास एवं प्रखर पाण्डित्य के साथ प्रत्येक शंका का समाधान करते हैं। उन्हें किसी प्रकार का आग्रह भी दिखाई नहीं देता इसलिए वे बलात् अपनी बात को थोपते नहीं हैं, अपितु अपनी बात रखकर शंकाकार को उचित दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करते हैं तथा उसे स्वयं आगम के परिप्रेक्ष्य में सही उत्तर को प्राप्त करने के लिए उत्साहित करते हैं। वे अपनी बात को मानने के लिए शंकाकार को बाध्य न करके निष्पक्ष निर्णय लेने का अवसर प्रदान करते
यद्यपि शंकाकार भी वे स्वयं है और समाधानकर्ता भी स्वयं । परन्तु समाधानकर्ता सर्वत्र उत्तम पुरुष में विद्यमान है। जबकि शंकाकार - इहां प्रश्न, इंहा कोई कहें, इहां कोई पूछे - आदि के रूप में अन्य पुरुष में है। शंकाकार विनयशील है, पर है मुखर, जबकि समाधान कर्ता सर्वत्र दबंग एवं अनेक शास्त्रवेत्ता है। शंकाकार भी कम पंडित नहीं है। वह बुद्धिमान, जिज्ञासु एवं बहुशास्त्रविद् है । मात्र उसमें एक कमजोरी है कि वह यथाप्रसंग शास्त्रों के सही