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महाकवि भूधरदास :
देखो भाई !..... देखो भाई ! आतम देव विराजै ।। टेक ॥ इस ही हूठ हाथ देवल में, केवल रूपी राजै ।।
देखो भाई ॥ अमल उदास जोतिमय जाकी, मुद्रा मंजुल छाजै। मुनि जन पूज अचल अविनाशी, गुण बरनत बुधि लाजै ।।
। देखो भाई ॥ पर संजोग अमल प्रतिभासत, निज गुण मूल न त्याजै। जैन फटिक पाखान हेत सों, स्याम अरु दुति साजै ।।
॥ देखो भाई ॥ सोऽहं पद ममता सो ध्यावत, घट ही में प्रभु पाजै । “भूधर” निकट निवास जासु को, गुरु बिन भरम न भाजै।
___॥ देखो भाई ॥
- भूधरदास