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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 247 जैनशतक का भावपक्षीय विश्लेषण "शतक" का अर्थ संख्यावाची “सौ” है तथा जैनधर्म से सम्बन्धित विषयवस्तु होने के कारण “जैनशतक* नाम प्रसिद्ध है। संख्यावाची शब्दों से नाम रखने की परम्परा काफी प्राचीन रही है, जिनमें अष्टक, बीसी, चौबीसी, पच्चीसी, बत्तीसी, छत्तीसी, बावनी, बहोत्तरी, अष्टोत्तरी, शतक सतसई, हजारा आदि नाम की सहस्त्रादिक कृतियाँ उपलब्ध होती हैं। सामान्यत: ये रचनाएँ मुक्तक काव्य में समाहित हैं। संख्यापरक कृतियों में उसमें आने वाली निश्चित संख्या से कुछ अधिक संख्या में पदों के रचने का प्रचलन रहा है, जैसे बिहारी सतसई आदि । भूधरदास ने भी जैनशतक में 100 से अधिक 107 पद रचे हैं। 107 पदों का यह स्तुति, 'नीति एवं वैराग्य को प्रदर्शित करने वाला मुक्तक काव्य है। प्रत्येक पद पृथक्-पृथक् छन्द में पृथक्-पृथक् विषय को लिये हुए हैं। प्रत्येक छन्द स्वयं में पूर्ण स्वतन्त्र एवं पूर्ण है तथा उसे किसी दूसरे पूर्वापर छन्द की अपेक्षा नहीं विषय वर्णन के अनुसार "जैनशतक" शतक परम्परा की महत्वपूर्ण कृति है। उसमें जैनधर्म से सम्बन्धित स्तुति, नीति, वैराग्य एवं उपदेश आदि का सुन्दर वर्णन है। प्रथम 15 छन्दों में आदिनाथ, चंद्रप्रभु, शांतिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर, सिद्ध, साधु और जिनवाणी की स्तुति की गई होने से स्पष्टतः ये सभी छन्द स्तुतिपरक हैं। इसीप्रकार छन्द 93 से 105 तक 13 छन्दों में जैन धर्म की प्रशंसा, छन्द 81 से 87 तक 7 छन्दों में चौबीस तीर्थंकरों के चिह्न ऋषभदेव, चन्द्रप्रभु, शांतिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, राजा यशोधर के पूर्वमवों का कथन है । ये सभी छन्द स्तुतिपरक कहे जा सकते हैं। वैराग्य प्रेरक पद्यों के रूप में वैराग्य कामना छन्द 17, राग एवं वैराग्य दशा में अन्तर छन्द 18, भोग की चाह का निषेध छंद 19. देह का स्वरूप छन्द 20, संसार का स्वरूप छन्द 21, विषय सुख की तुच्छता एवं जिनगुण स्मरण की महत्ता छन्द 22 से 24, सौ वर्ष की आयु का लेखा-जोखा छन्द 27, संसारी जीव का चिन्तन छन्द 32, संयोग का वियोग होने पर भी विरक्त न होना छन्द 35,
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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