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________________ महाकवि भूधरदास : राजा बज्रवीर्य एवं रानी विजया छठे जन्म में मरूभूति राजा बज्रवी तथा रानी विजया के यहाँ " बज्रनाभि” नामक पुत्र होता है । राजा बज्रवीर्य न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करते हैं। वे गुणों के आगार होकर सूर्य के समान तेजस्वी हैं, जब कि अन्य राजा उनके सामने जुगनू की भाँति दिखाई देते हैं । उनकी "विजया" नामक रति के समान सुन्दर, गुणों की खान पटरानी है। ' 218 राजा अश्वसेन एवं रानी वामादेवी - दसवें जन्म में मरुभूति "पार्श्वनाथ" के रूप में जन्म लेता है। "पार्श्वपुराण" में नायक “पार्श्वनाथ" के माता-पिता के चरित्र का विस्तृत वर्णन किया गया है। पार्श्वनाथ के पिता अश्वसेन पवित्र इक्ष्वाकुवंशीय तथा जगतप्रसिद्ध काश्यपगोत्रीय बनारस के राजा हैं । वे सूर्य के समान तेजस्वी, कल्पतरू के समान दातार, कामदेव के समान सुन्दर, सागर के समान गम्भीर पर्वत के समान धीरवीर, अमृत के समान सुखदायी, संसार में यशस्वी मति श्रुत और अवधि- इन तीन ज्ञानों से युक्त, महान् विवेकी, दयावान्, जिनभक्ति में तत्पर, गुरुसेवा में तल्लीन, अनेक विद्याओं एवं कलाओं से युक्त तथा समस्त गुणों के निधान हैं; जो जिनेन्द्र रूपी सूर्य को उत्पन्न करने वाले उदयाचल के समान हैं, उनकी महिमा का वर्णन कैसे किया जा सकता है ? 2 " - अश्वसेन की पवित्र नाम वाली तथा पवित्र मन वाली "वामा देवी" रानी है। वे सब गुणों से युक्त हैं। उनका लावण्य उपमारहित हैं। वे रूप के समुद्र से निकली बेल के समान हैं। उनके नश शिख आदि पर सुहाग के चिह्न हैं । वे तीन लोक की स्त्रियों में सिरताज हैं। वे सम्पूर्ण सुलक्षणों से मंडित, मधुरवाणी बोलने वाली तथा सरस्वती के समान बुद्धिमती है। उनकी सुन्दरता के आगे रम्भा, रति और रोहिणी की सुन्दरता भी फीकी पड़ जाती है । इन्द्र की इन्द्राणी उनके सामने सूर्य के समक्ष दीपक की तरह दृष्टिगत होती है। जिस प्रकार कार्तिक मास की चाँदनी लोगों के मन को प्रसन्न करती है; उसी प्रकार वे लोगों के मन को प्रसन्न करने वाली हैं। वे समस्त सारभूत गुणों की खान तथा शीलरूपी गुण की निधि हैं। वे सज्जनता, कला एवं बुद्धि की सीमा हैं। उनके नाम लेने मात्र से पाप भाग जाता है। जिस प्रकार सीप में से मोती निकलता है उसी प्रकार वे महापुरुष को जन्म देने वाली हैं। वे तीन लोक के नाथ IM 1. पार्श्वपुराण – कलकत्ता, अधिकार 3, पृष्ठ 14 2. पार्श्वपुराण – कलकत्ता, अधिकार 5, पृष्ठ 45
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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