SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 235
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 205 देव शरीर छोड़कर चौथे जन्म में वे विद्युतराजा की विद्युतमाला नाम की रानी के गर्भ से अग्निवेग नामक सुन्दर, सुलक्षणवान, सोमप्रकृति अति प्रवीण एवं जिनपूजा में तत्पर पुत्र के रूप में जन्म लेते हैं।' एक दिन गुरूपदेश सुनकर मुनि दीक्षा अंगीकार कर लेते हैं। अजगर द्वारा डसने पर समता भावों से शरीर त्याग पुन: सोलहवाँ स्वर्ग प्राप्त करते हैं "मिरले साधु संजमधरधीर, समभावनतै ताज्यों शरीर । लीनों स्वर्ग सोलहवें वास, जो नित निरूपम भोग निवास ॥' देवशरीर के पश्चात् बज्रवीर्य राजा की विजयारानी के यहाँ चौसठ लक्षणों से युक्त वज्रनाभि नाम के पुत्र होते हैं।' वज्रनाभि चक्रवर्ती पद प्राप्त करते हैं तथा पूजा, दान, सामायिक उपवास आदि धार्मिक कार्य करते हुए नीति से प्रजापालन करते हैं।' गुरु का उपदेश सुनकर विरक्त होकर निर्मन्थ मुनि दीक्षा ले लेते हैं - "गुरु उपदेश्यो धर्मशिरोमनि, सुनि राजा वेरागे। राज रमा वनितादिक जे रस, ते रस वेरस लागे॥' *परिग्रहपोट उतारि सब लीनो चारित पंथ। निज स्वभाव में घिर भये, वजनाभि निरपन्थ ।। " कमठ का जीव अजगर से नारकी बनकर भील बनता है तथा मुनिराज को मारता है । मुनिराज समता भावों से शरीर का त्याग करते हैं तथा स्वर्गलोक में अहमिन्द्र पद प्राप्त करते हैं - "देहत्याग तब भये मुनिन्द्र । मध्यम प्रैवेयक अहमिन्द्र ॥' 1, पार्श्वपुराण- कलकत्ता, अधिकार 2, पृष्ठ 12 2. पार्श्वपुराण- कलकत्ता, अधिकार 2, पृष्ठ 13 3. पार्श्वपुराण- कलकत्ता, अधिकार 2, पृष्ठ 14 4, पार्श्वपुराण- कलकत्ता, अधिकार 3, पृष्ठ 17 5. पार्श्वपुराण- कलकत्ता, अधिकार 3, पृष्ठ 17 6. पार्श्वपुराण- कलकत्ता, अधिकार 3, पृष्ठ 19 7. पार्श्वपुराण- कलकत्ता, अधिकार 3, पृष्ठ 19
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy