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καίν
सप्तम अध्याय
भूधरदास द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक, धार्मिक एवं नैतिक विचार
(क) दार्शनिक विचार
(ग)
महाकवि भूषरदास :
उपादेय, हेय एवं ज्ञेय तत्त्व 332, विश्व 332, अनेकान्त एवं स्याद्वाद 333, जीव विषै सातों भंग निरूपण 338.
331-421
331
जीव निरूपण 339, अजीव तत्त्व कथन 344, पुद्गल द्रव्य कथन 345, धर्मद्रव्य 345, अधर्म- आकाश- कालद्रव्य कथन 346, पंचास्तिकाय - विवरण 347, प्रदेश तथा उसकी शक्ति का
कथन 348, आश्रव-बन्ध तत्त्व कथन 348, संवर- निर्जरातत्त्व कथन 349, मोक्ष तत्व कथन 350,
निश्चयनय और व्यवहार नय 350, पुनर्जन्म एवं कर्म सिद्धान्त 351 (ख) धार्मिक विचार -
352
जैन धर्म 353, धर्म के अंग विचार और आचार 354, धर्म क्या है ? वस्तु का स्वभाव धर्म 356, सम्यग्दर्शन ज्ञान चरित्र रूप धर्म 357, धर्म प्रवृत्तिपरक 359, सम्यग्दर्शन 360, देव शास्त्र गुरु 364, भेदविज्ञान एवं आत्मानुभव 367, सम्यग्ज्ञान 369, सम्यग्चारित्र 370, सकल चारित्र या मुनि धर्म 371, पाँच महाव्रत 372, पाँच समिति 372, तीन गुप्ति और पाँच इन्द्रिय जय 372, छह आवश्यक और सात शेष गुण 373, बारह भावनाएँ 373, दस धर्म 378, बाबीस परीषह 380, बारहतप 385, सोलह कारण भावनाएँ 387, देश चारित्र या गृहस्थ धर्म 390, दर्शन प्रतिमा पाँच उदुम्बर, फल, मद्य, मांस, मधु, सप्तव्यसन आदि के दोष एवं उनका निषेध निरूपण 392-397 व्रत प्रतिमा- पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत, चार शिक्षाव्रत 399-400, सामायिक प्रतिमा 4001, प्रोषध प्रतिमा, सचित्त त्याग प्रतिमा, दिवा- मैथुन त्याग, ब्रह्मचर्य, आरम्भ त्याग परिग्रह त्याग अनुमति त्याग उदिष्ट त्याग प्रतिमा 401-402, सल्लेखना या समाधिमरण 403 नैतिक विचार
404