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(ग)
एक समालोचनात्मक अध्ययन
xxii नायक पार्श्वनाथ 2013, प्रतिनायक संवर (कमठ का जीव )211, गौण पात्रों का चरित्र चित्रण- राजा अरविन्द 217, मंत्री विश्वभूति एवं उनकी पत्नी 217, राजा विद्युतगति एवं रानी विद्युतमाला 217,राजा ब्रजवीर्य एवं रानी विजया 218, राजा अश्वसेन एवं रानी वामादेवी 218. राजा श्रेणिक 219
पार्श्वपुराण में प्रकृति चित्रण - 219 (घ) पार्श्वपुराण में रस निरूपण - (अंगीरस) शांत रस 228,
अन्य रस- श्रृंगार रस 231, हास्य रस 232, करुण रस 233, वीररस 233, रौद्ररस 234, भयानक रस 234, वीभत्स रस 235, अद्भुत रस 235, वात्सल्य रस 236, भक्ति रस 236 पार्श्वपुराण की रचना का उद्देश्य 238 महाकाव्येतर रचनाओं का भावपक्षीय अनुशीलन' 244-279 मुक्तक का अर्थ (परिभाषाएँ एवं विशेषताएँ) 244, मुक्तक एवं प्रबन्ध में भेद 246, जैनशतक का भावपक्षीय विश्लेषण 247, पदसंग्रह या भूधरविलास का भावपक्षीय अनुशीलन 264, संख्य भाव 269, दास्यभाव 270, प्रेम भाव 273, शांत भाव 275, आत्मा का कथन 276, पापों को छोड़ने का उपदेश एवं मानव जीवन की दुर्लभता 276, मन की पवित्रता 277, अभिमान का निषेध 277, गुरु का स्वरूप एवं महत्त्व 278, माया का वर्णन 279, शरीर के रूपक 279, श्रद्धानी जीव एवं
समकित सावन का महत्व 280, हिंसा का निषेध 281 घष्ठ अध्याय भूधरदास का कलापक्षीय अनुशीलन
283-330 भाषा 283, पार्श्वपुराण की भाषा 286, जैन शतक की भाषा 287, भूधर विलास या पद संग्रह की भाषा 289, प्रकीर्ण पद या
फूटकर रचनाओं की भाषा 290 (ख) छन्द विधान
209 (ग) अलंकार विधान
311 प्रतीक विधान (ड) मुहावरे और कहावतें (च) भूधरदास की गद्य शैली
(घ)
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328