SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 227
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 197 12. एक समालोचनात्मक अध्ययन 6. पुष्पदन्त कवि, महापुराणतिसट्टिमहापुरिस - दसवीं शती 7. वादिराज द्वितीय, पार्श्वनाथ चरित्र - ग्यारहवीं शती 8. पद्मकीर्ति, पारसणाह चरिउ - ग्यारहवीं शती 9. कवि श्रीधर द्वितीय, पासणाह चरिउ - बारहवीं शती 10. पं. आशाधर, त्रिषष्टिस्मृतिशास्त्र - तेरहवीं शती 11. शाह ठाकुर, महापुराणककिला - तेरहवीं शती कवि तेजपाल, पासपुराण - पन्द्रहवीं शती । 13. शुभचन्द्र भट्टारक, पार्श्वनाथ काव्य पंजिका -सोलहवी शती 14. वादिचन्द्र, पार्श्वपुराण - सोलहवीं शती। . 15. चन्द्रकीर्ति पार्श्वनाथ पुराण - सत्तरहवीं शती । "पार्श्वपुराण" का कथानक उपर्यस्त पराणों पर आधारित होने से पुराणसम्मत ही है। इसकी पुष्टि कवि के निम्नांकित कथन से भी होती है - प्रभु चरित्र मिस किमपि यह कीनो प्रभु गुनगान श्री पारस परमेश को पूरन भयो पुरान ।। पूरव चरित विलौकिकै भूधरबुद्धि समान। भाषाबंध प्रबन्ध यह कियो आगरे धान ।। 1 तुल्लक जिनेन्द्र वर्णी तो भूधरदासकृत पार्श्वपुराण को पाकीर्ति (समय 942 ईस्वी) द्वारा रचित “पार्श्वपुराण" का भाषानुवाद तक मानते हैं। इस प्रकार भूधरदास द्वारा रचित पार्श्वपुराण का कथानक पूर्णत: पुराणसम्मत है। 6. परम्परागतता एवं नवीन उद्भावनाएं - यद्यपि कवि ने पूर्वपुराणों में वर्णित पार्श्वनाथ के सम्पूर्ण चरित्र को मोटे तौर पर ग्रहण किया है तथापि उसे अपनी कल्पना की कंची से संवारा भी है। तीर्थकर पार्श्वनाथ के परम्परागत आख्यान में अपनी मौलिक उद्भावनाओं को समाहित कर नये रूप में प्रस्तुत किया है अत: पार्श्वपुराण का कथानक परम्परागत होने के साथ-साथ नवीन उद्भावनाओं से युक्त बन पड़ा है। 1. पार्श्वपुराण - कलकत्ता, अधिकार 9 पृष्ठ 95 2. क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी- जिनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग 3, पृष्ठ 56
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy