SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 207
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन भूधरदास की रचनाओं का भावपक्षीय अनुशीलन (अ) महाकाव्यात्मक रचना “पार्श्वपुराण" का भावपक्षीय अनुशीलन "पार्श्वपुराण" भूधरदास की महाकाव्यात्मक रचना है। इसके सम्बन्ध में अनेक विद्वानों ने अपने-अपने मन्तव्य दिये हैं । उनमें से कुछ प्रमुख विद्वानों के मन्तव्य निम्नानुसार है : 177 पं. नाथूराम " प्रेमी" लिखते हैं कि- “हिन्दी के जैन साहित्य में यही एक चरित्र ग्रन्थ है, जिसकी रचना उच्च श्रेणी की है और जो वास्तव में पढ़ने योग्य हैं। यह ग्रन्थ स्वतन्त्र हैं, किसी खास ग्रन्थ का अनुवाद नहीं है।' " डॉ. कामताप्रसाद जैन लिखते है कि :- - "पार्श्वपुराण" में 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जीवन - कथानक बहुत ही सुन्दर रीति से प्रतिपादित है । हिन्दी जैन साहित्य में यही एक सुन्दर स्वतन्त्र काव्य है" । 2 डॉ. नेमीचन्द शास्त्री के अनुसार " यह एक सफल महाकाव्य है, महाकाव्य के सभी लक्षण इसमें वर्तमान हैं । " 3 पं. परमानन्द शास्त्री ने लिखा है कि- "पार्श्वपुराण की रचना अत्यन्त सरल एवं संक्षिप्त होते हुए भी पार्श्वनाथ के जीवन की परिचायक है। जीवन परिचय के साथ उसमें अनेक सूक्तियाँ भी मौजूद है, जो पाठक के हृदय को केवल स्पर्श ही नहीं करती, प्रत्युत उनमें वस्तुस्थिति के भी दर्शन होते हैं।' A पं. नाथूलाल शास्त्री इन्दौर के अनुसार " इस ग्रन्थ के किसी भी अंश को पढ़ा जाय उसमें कवि का पदलालित्य और साहजिक कल्पना शक्ति का परिचय मिलता हैं । कवि की वाणी में वास्तविक रस और आकर्षण है।" 5 पार्श्वपुराण एक महाकाव्य है, जिसमें एक व्यक्ति का जीवन विविध अवस्थाओं और विभिन्न परिस्थितियों के बीच चित्रित किया गया है। वस्तु वर्णन, चरित्रचित्रण, भावव्यंजना आदि सभी कुछ इस काव्य में समन्वित रूप से उपलब्ध है । 1. हिन्दी साहित्य का इतिहास, जैन हितैषी 13/1 नाथूराम प्रेमी पृष्ठ 12 2. जैन हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास डॉ. कामता प्रसाद जैन पृष्ठ 172 3. हिन्दी जैन साहित्य का परिशीलन भाग-१ डॉ. नेमीचन्द शास्त्री पृष्ठ 500 4. अनेकान्त वर्ष 12 किरण 10 5. जैन हितेन्द्र पुराण, वर्ष 28 अंक 2,3
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy