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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन पूरा विप्रलम्भश्रृंगारपरक :- कवि ने नेमिनाथ और राजुल के प्रणय के होने पर भी राजुल द्वारा नेमिनाथ के प्रति जो अनुराग प्रदर्शित किया तथा उनके वियोग में जो पीड़ा भोगी उसकी अभिव्यक्ति इन पदों द्वारा हुई है। ये पद संख्या में 4 हैं, इनका पद क्रमांक 13, 14, 20 और 45 है। नेमि -राजुल के प्रसंग को लेकर रचे गये इन पदों में मर्यादा का उल्लंघन तथा वासना की गंध रंच मात्र दृष्टिगत नहीं होती है। अज्ञान सम्यग्ज्ञान अहिंसा धर्माचरण - अध्यात्मपरक एवं :- जनपदों में एक ओर आत्महित के लिए प्रेरित किया गया है तथा दूसरी ओर पाप, भोग, माया, संसार, आदि से हटने की प्रेरणा दी गई है, वे पद अध्यात्म एवं नीतिपरक हैं। इन पदों की भाषा एवं भाव सरल, सरस एवं बोधगम्य है। इनका विवरण निम्नानुसार है— विषय कुल पद पद क्रमांक पाप एवं भोग निषेध 4 माया सांसारिक विषमता समय का मूल्य देह की अस्थिरता इन्द्रियासक्ति में विरक्ति सत्य एवं धर्म पाखंड से सतर्कता पवित्रता 2 1 3 1 I 1 1 1 1 1 1 4, 21, 32, 46 8, 44 9 10, 27, 30 11 41 . 47 18 28 29 37 165 50 31 1 इस तरह भूधरदास की पद्यात्मक तीन रचनाएँ पार्श्वपुराण, जैन शतक, एवं पदसंग्रह अति प्रसिद्ध हैं। इनके अलावा अनेक फुटकर रचनाएँ निम्नलिखित हैं जो मुक्तक काव्य के अन्तर्गत आती हैं.
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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