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एक समालोचनात्मक अध्ययन
ix हूँ ; जिन्होंने मुझे इस विषय पर शोध करने हेतु प्रेरित किया। डॉ. प्रकाशचन्द जैन, इन्दौर का अति कृतज्ञ हूँ; जिनका मार्गदर्शन मेरा पथप्रदर्शक बना । शोध सामग्री उपलब्ध कराने में विभिन्न शास्त्र भण्डारों, जैन मन्दिरों एवं पुस्तकालयों के अधिकारियों ने जो सहयोग दिया; उसके लिए उन सभी का मैं हार्दिक आभारी हूँ। अपनी सहधर्मिणी श्रीमती निशि जैन की प्रशंसा किये बिना भी नहीं रह सकता; जिसकी सतत प्रेरणा एवं सहयोग मेरा संबल रहा।
परम श्रद्धेय गुरुवर्य डॉ. हुकुमचन्दजी भारिल्ल ने अपनी अमूल्य प्रस्तावना लिखकर मुझे उपकृत किया तथा परमादरणीय ब. यशपालजी ने प्रस्तुत शोध प्रबन्ध आद्योपान्त पढ़कर अमूल्य सुझाव दिये, संशोधन किया । एतदर्थ मैं दोनों महानुभावों का चिरऋणी रहूँगा । इसे लिखने की मूल शक्ति मुझे पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी एवं पण्डिंत टोडरमल स्मारक ट्रस्ट जयपुर से प्राप्त हुई है। मेरे ऊपर किये गये इनके असीम उपकार को भुलाना संभव ही नहीं है।
इस कार्य में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में जिन-जिन महानुभावों का सहयोग प्राप्त हुआ है, उन सबके प्रति भी कृतज्ञता ज्ञावित करता हूँ। साथ ही प्रकाशन हेतु पं. सदासुख ग्रंथमाला, अजमेर के संस्थापक अध्यक्ष श्री पूनमचन्द लुहाड़िया, कम्प्यूटर कम्पोजिंग हेतु श्री अखिल बंसल एवं मुद्रण हेतु श्री सोहनलाल जैन को अपना बहुमूल्य सहयोग देने के लिए धन्यवाद देता हूँ।
इस शोधग्रन्थ को उपलब्ध कराने का वास्तविक श्रेय उन महानुभावों, ट्रस्टों एवं मण्डलों को जाता है; जिन्होंने हमें आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। उनके प्रति मैं हृदय से अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ तथा धन्यवाद देता हूँ। सभी दातारों की सूची अन्त में दी गई है। प्रचारार्थ ग्रंथ की कीमत लागत मूल्य से भी कम रखी गई है।
आशा है प्रस्तुत शोध प्रबन्ध महाकवि पं. भूधरदास के व्यक्तित्त्व एवं कर्तृत्त्व को उजागर करते हुए उपयोगी सिद्ध होगा।
भवदीय
डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन स्नातकोत्तर शिक्षक (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय