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________________ 150 महाकवि भूधरदास : चर्चा 131- श्रेणिक आदि भावी तीर्थकर कौन होइगे; तिनके नाम क्या हैं? चर्चा 132- गृहस्थ ने जो धन नीति तूं उपजाया है, तिसके के भाग करने जोग्य चर्चा 133- गृहस्थ ने जो धन नीति सूं उपजाया है, तिसके के भाग करने जोग्य चर्चा 134- जैनमत में गृहस्थ की तिलक की विधि किस प्रकार है ? चर्चा 135- चौरासी लाख योनि का क्या स्वरूप है ? चर्चा 136- संसारी जीवनि के एक सौ साढ़े निन्याणवै लाख कोडि कल कहे हैं। अर चौरासी लाख योनि कही। तहां योनि तथा कुल विषै क्या भेद हैं ? चर्चा 137- संसारी आत्मा अनादि मं सात तत्त्वरूप समय-समय निरन्तर परिणमैं सो क्यू कर ? चर्चा 138- जितने जीव व्यवहार राशि में आवै, ऐसी कहावत है, सो क्यों कर चर्चा 139- आदि पुराण प्रमुख जैन पुराणानिवि केतेक साधर्मीजन अरुचि करें हैं, राग-वर्धनरूप माने हैं; यह श्रधान योग्य है कि अयोग्य है ? इसप्रकार “चर्चा समाधान" में लिखे हुए क्रम के अनुसार इसमें 139 चर्चाएँ एवं उनके समाधान हैं, जबकि वास्तव में कुल चर्चाएँ एवं समाधान 1440 हैं; क्योंकि चर्चा 74 दो बार लिखी गई है। यदि इसको क्रमानुसार संशोधित कर क्रम संख्या दी जाय तो क्रम संख्या 139 के स्थान पर 140 होगी। कुछ चर्चाओं में अवान्तर चर्चाएँ भी पूछी गयी हैं। जिन चर्चाओं में अवान्तर चर्चाएँ पूछी गयी हैं वे चर्चाएँ हैं - 4, 5, 18, 19, 21, 22, 24, 25, 29, 37, 46, 47, 54, 59, 60, 73, 74, 83, 95, 98, 102, 105, 107, 108, 114, 118, 128, 131, 134, 135, 136, 138, 139 1 किसी-किसी चर्चा में अवान्तर चर्चाएँ एक से अधिक चार-पाँच तक हैं । कुल अवान्तर शंकाएँ लगभग 62 हैं । इसप्रकार 140 मुख्य चर्चाएँ एवं उनमें पूछी अवान्तर चर्चाएँ 62, कुल मिलाकर 202 हैं। मोटे तौर पर चर्चाओं के विषय के अनुसार चर्चाएँ निम्नलिखित हैं - सम्यग्दर्शन संबंधी चर्चाएँ - चर्चा न. 2, 3, 4, 5, 6, 12, 16, 17
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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