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महाकवि भूधरदास : चर्चा 61- तीर्थकर प्रभु को प्रथम आहार देइ सो तद्भव मुक्त होई असे सुनी
है सो कैसे है ? चर्चा 62- शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ के तीर्थकर, कामदेव तथा चक्रवर्ती तीन
पद क्यों कर हुए ? चर्चा 63- बाहुबलिजी भरत की पृथ्वी जानि अंगुष्ठ के बल वर्ष पर्यन्त योगारूढ़
रहे, इस ही मानकषाय सौ केवलज्ञान का अवरोध रह्या । ऐसी कहावत
सुनी है; सो क्यूँ कहै ? चर्चा 64- युग के आदि विषै प्रथम बाहुबलिजी मुक्त हुए ऐसी सुनी है, सो क्यूँ
कर है ? चर्चा 65- तीर्थकर प्रकृति के आश्रव कू दर्शनविशुद्धि आदि सोलहकारण कहे
है, तहां सत्रजी की भाषा टीका विष यो लिख्या है . सोलहकारण सब मिले तब तीर्थकर प्रकृति का आश्रव होई । एक भी घटे तो न
होई, सो क्यों कर है ? चर्चा 66- तीर्थंकर की माता रजस्वला होइ कि नाही ? चर्चा 67- तीर्थकर प्रभु की मुनिराज सो भेंट होई की नाही ? चर्चा 68- तीर्थकर की माता की गर्भावतार अवसर पर छप्पन कुमारी देवांगना
सेवै हैं; वे कौनसी ? चर्चा 69. बाहुबलि की प्रतिमा पूज्य है कि नाही ? चर्चा 70- पार्श्वनाथ जी के तपकाल विर्षे धरणेन्द्र पद्मावती आये; मस्तक के
ऊपर फण का मण्डप किया । केवलज्ञान समय रह्या नाहीं । अब प्रतिमा
विधैं देखिये है; सो क्यों कर सम्भवै ? चर्चा 71- पार्श्वनाथ जी के सातफण हैं तिसका हेतु तो जानिए है। अर
सुपार्श्वनाथ प्रतिमा पर नौ फण है, तिसका क्या हेतु है ? चर्चा 72- चौबीस तीर्थकर की प्रतिमा के आसनविर्षे वृषभादिक चिन्ह, सो क्या
चर्चा 73- ऊपर लिखा प्रतिमा के पूजन विर्षे न्हवन क्रिया उचित है सो इह तो
जन्म समय की विधि है । प्रतिमाविर्षे केवलज्ञान की विधि चाहिए। चर्चा 74- प्रतिमाविधैं पूज्य अपूज्य का विवरण क्यों कर है ? चर्चा 74- प्रतिमा विर्षे कान का आकार कांधे सौ लगा होई, सो क्या है ?